बौंली, बामनवास। पंचांग के अनुसार गणगौर व्रत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता हैं। इस बार उदयात तिथि में गणगौर का व्रत 11 अप्रैल गुरुवार को रखा जाएगा । यह व्रत माता पार्वती को समर्पित माना जाता हैं । इस अवसर पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र,परिवार में सुख-शांति के लिए गणगौर का व्रत रखती हैं। साथ ही इस दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि गणगौर शब्द में गण भगवान शिव और गौर माता पार्वती का प्रतीक हैं, इसलिए गणगौर पूजा में भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व हैं । माता पार्वती ने भी कठिन तपस्या से भगवान शिव को प्राप्त किया था। इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को और मां पार्वती ने समस्त स्त्रियों को सुख-सौभाग्य का विशेष आशिर्वाद प्रदान किया। गणगौर पूजा के दिन रवि योग,प्रीति योग और आयुष्मान योग का संयोग रहेगा। गणगौर के दिन पूजा का समय सुबह शुभ – 6:05 बजे से 7:40 बजे तक,इसके बाद चर-लाभ-अमृत की वेला में- 10:50 से दोपहर बाद 3:36 तक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा