प्राचीनता पर नूतनता की परवान संस्कारो से युक्त हो : आचार्य वसुनंदी महाराज
कामां। गत वर्ष की विदाई बहुत कुछ खट्टे मीठे अनुभवों को प्रदान कर नूतनता के साथ आगे बढ़ने का संदेश तो प्रदान करती ही अपितु एक चेतावनी भी दे जाती है कि जीवन मृत्यु के समीप पहुंच रहा है अतः संभल जाओ और नूतन दिशा का वरण करो जिससे दशा में भी परिवर्तन आ जाये उक्त उदगार जम्बूस्वामी तपोस्थली बोलखेड़ा पर विराजमान दिगम्बर जैनाचार्य वसुनंदी महाराज ने पच्चीस समोशरण विधान के पंच दिवसीय आयोजन के समापन पर जैन श्रावकों से व्यक्त किए।
आचार्य ने कहा कि नववर्ष पर युवा अपनी मर्यादा व गरिमा को लांघकर आगे बढ़ जाते हैं किंतु उन्हें इस नव वर्ष से सीख लेनी चाहिए और नए लक्ष्यों की ओर बढ़ी दृढ़ता से आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए। मर्यादा और संस्कार व्यवहार में परिलक्षित हो,भारतीय संस्कृति से हमेशा ओत प्रोत रहे। आचार्य ने चेतावनी देते हुए कहा कि प्राचीनता पर नूतनता की परवान चढ़नी चाहिए किन्तु संस्कारो के साथ। संस्कार विहीन जीवन तो पशु पक्षियों के समान है। वर्तमान युग में अनेकों आसुरी शक्तियां युवाओं के भटकाव के लिए आतुर खड़ी हैं जिनसे संभलना बड़ा ही कठिन कार्य है।
आचार्य पदारोहण समारोह कलः-तपोस्थली प्रचार प्रभारी संजय जैन बड़जात्या ने बताया कि बुधवार को आचार्य पदारोहण कार्यक्रम बोलखेड़ा में आयोजित किया जाएगा। वही जैनमुनि ज्ञानानंद और मुनि जिनानंद महाराज को आचार्य द्वारा उपाध्याय पद के संस्कार प्रदान किये जाएगें। ज्ञात रहे वर्तमान में इस भीषण ठंड में तपोस्थली बोलखेड़ा पर आचार्य ससंघ शीतकालीन वाचना के लिए विराजमान है।