शरीर के प्रति आसक्ति भव बंधनकारी होती है – भावितप्रज्ञाजी


सवाई माधोपुर 12 जनवरी। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्दिष्ट अनुसार स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल आदर्शनगर द्वारा महिलाओं के मानसिक, शारीरिक एवं भावनात्मक उन्नयन हेतु साल की प्रथम कार्यशाला अणुव्रत भवन आदर्शनगर में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या समणी निर्देशिका भावितप्रज्ञाजी के कुशल सानिध्य में आयोजित की गई। कार्यशाला में मौसम की प्रतिकूलता के बावजूद 34 महिला और 18 पुरुष श्रावक श्राविकाओं ने उपस्थित होकर प्रयोगात्मक कार्यशाला में भाग लिया।
कार्यशाला की शुरुआत नमस्कार महामंत्र उच्चारण से हुई। समणी निर्देशिकाजी ने कार्यशाला में महाप्राण ध्वनि, कायोत्सर्ग, शिथिलीकरण, अंतर्यात्रा, दीर्घश्वास, श्वासप्रेक्षा आदि की जानकारी देते हुए प्रायोगिक अभ्यास भी करवाया। उन्होंने बताया कि प्रेक्षाध्यान के प्रायोगिक अभ्यास से आत्मसाक्षात्कार संभव है। हमें ध्यान की साधना ज्ञातादृष्टा भाव से करनी चाहिए। ढ़ाई मिनट की निर्विकार ध्यान साधना द्वारा व्यक्ति बेले की तपस्या के समान कर्म निर्जरा प्राप्त कर सकता है। महाप्राण ध्वनि के प्रयोग से स्मृति क्षमता द्विगुणित होती है। श्वास का सीधा संबंध आयु से होता है इसलिए दीर्घ श्वास का आभास आयुवर्द्धक साबित हो सकता है। नाशवान शरीर के प्रति आसक्ति छोड़ना श्रेयस्कर है और इसके लिए ध्यान केंद्रित साधना आवश्यक है। तीर्थंकरों के महान गुण चंद्रमा जैसी निर्मलता सूर्य जैसी तेजस्विता और सागर जैसी गंभीरता के लिए ध्यान का अभ्यास जीवन को उन्नत बनाने में समर्थ है।
मंगल पाठ से कार्यशाला का समापन हुआ। महिला मंडल अध्यक्ष अनीता जैन ने कार्यशाला में भाग लेने वाले श्रावक श्राविकाओं का आभार ज्ञापित किया।


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