धान की फसल को पत्ती लपेटक कीट से बचाने के उपाय
प्रयागराज। विगत कई दिनों से पर्याप्त वर्षा न होने के कारण धान में पत्ती लपेटक कीट के लगने की संभावना को देखते हुए गोपाल दास गुप्ता उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) ने किसान भाइयों को अवगत कराया है कि पत्ती लपेटक कीट की मादा पत्तियों की निचली सतह में समूह में अंडे देती है। 6 से 8 दिन बाद अण्डे टूट जाते हैं, जिनसे हल्के पीले रंग की सूडियां निकल कर कोमल पत्तियों को खाती हैं, इसके बाद अपने लार का धागा बनाकर पत्तियों के दोनों किनारो को आपस में मिलाने लगती हैंव पत्तियों के हरे भाग को खुरच कर खाती है, जिससे पत्तियों में सफेद-सफेद धारियां भी बन जाती हैं, फलतः पौधो के विकास व फसल की पैदावार में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बचाव के उपायों में जिन पत्तियों में इनके अण्डे हो उन्हें तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए, ताकि अण्डे भी नष्ट हो जाएं। खेतव मेड पर खरपतवार नहीं रखना चाहिए। पर्याप्त वर्षा होने से लिपटी हुई पत्तियां खुल जाती है जिससे छिपी हुई सूडिंयां स्वतः नष्ट हो जाती है। यदि पर्याप्त वर्षा न हो तो फसल के ऊपर रस्सी चलाना चाहिए, इसके लिए दो व्यक्ति रस्सी के दोनों किनारो को पकड़ करफसल के ऊपर सटाकर खेत के एक किनारे से दूसरे किनारे तक इस प्रकार चलते हैं ताकि रस्सी की रगड़ से धान की लिपटी हुई पत्तियों के दोनों किनारे खुल जाएं जिससे उनके अंदर छिपी हुई सूडियां नीचे गिरकर खेत में भरे पानी में डूब कर नष्ट हो जाएं। रोपाई के 20 से 25 दिन बाद फ्रिपोनिल 0.3 प्रतिशत दानेदार की 20 से 25 किग्रा0 मांत्रा प्रति हेक्टेयर प्रयोग करनी चाहिए या क्लोरपायरीफास 20 प्रतिशत ईसी अथवा क्यूनालफास 25 प्रतिशत ईसी में से किसी एक रसायन की 1.5 लीटर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में मिलाकरप्रति हेक्टेयर छिडकाव करना चाहिए। किसान भाई फसल सुरक्षा हेतु किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए विभाग के व्हाट्सप नंबर 9452247111 व 9452257111 अथवा उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) के मो०न० 9415592498 पर सम्पर्क कर सकते है।