ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा व स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेवाएं बदहाल, सरकार व विभागों के दावे हो रहे खोखले साबित

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भरतपुर|सरकार भले ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं व शिक्षा को लेकर कैसे भी बड़े-बड़े दावे कर रही हो किंतु विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी और कुछ अभावों के चलते हकीकत इसके बिलकुल विपरीत है । जिससे यह दावे खोखले व दिखावटी साबित हो रहे हैं।

राष्ट्रीय पथिक सेना के जिला अध्यक्ष रिंकू गुर्जर , विजय सिंह, ग्रामीणों व पंचायती राज जनप्रतिनिधियों की ओर से कई बार संबंधित विभागीय अधिकारियों का भी ध्यान अवगत कराया गया। किंतु उनके कानों पर अभी तक जूं भी नहीं रेंगी है । ग्रामीणों का कहना है कि जब मुख्यमंत्री के गृह जिले में ही यह आलम है तो और दूसरे जिलों में क्या हाल होगा। बयाना उपखंड के गांव कारवारी , जैसोरा, परौआ, सामरी ,खेरिया, अलापुरी, नदी गांव, मांगरैन ,आदि गांवों में तो दो वर्षों से वहां के उप स्वास्थ्य केंद्रों पर ताले लटके हैं और धूल जम रही है। 2 वर्ष पूर्व करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए कई उप स्वास्थ्य केंद्र अब उपयोग व देख-रेख के अभाव में जर्जर होने लगे हैं और उनके भूमिगत सेफ्टी टैंक व वाटर टैंक खुले पड़े हैं जो हादसों को खुला न्यौता दे रहे हैं।
ब्लॉक सीएमएचओ डॉक्टर धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि स्टाफ के अभाव में इन केंद्रों पर नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं। ऐसा ही हाल गांव सिंघाड़ा, ब्रह्मवाद, व बंध बरैठा आदि गांवों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का है। जहां डॉक्टर व स्टाफ नियुक्त होने के बावजूद भी नहीं पहुंच पाते हैं। इनमें से कई लोगों ने तो या तो अपने निजी क्लीनिक खोल रखे हैं या फिर वह दूसरों के निजी हॉस्पिटलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।


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