16 फरवरी को भारत बंद को लेकर बैठक आयोजित

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16 फरवरी को भारत बंद को लेकर बैठक आयोजित

बौंली, बामनवास। श्रद्धा ओम त्रिवेदी। आज दिनांक10फरवरी 2024 को केंद्र सरकार की गौर पूंजीवादी जन विरोधी नीतियों के खिलाफ मेहनतकश का आवाम के अधिकारों को रक्षा के लिए 16 फरवरी 2024 को ग्रामीण भारत बंद आम हड़ताल को सफल बनाने मांगों को लेकर उपखंड मुख्यालय बोली क्षेत्र के ग्राम पंचायत जस्टाना में संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय आवाहन पर 16 फरवरी भारत बंद को सफल बनाने के लिए राजस्थान किसान सभा जिला अध्यक्ष कांजी मीणा किसान नेता के नेतृत्व में जिले में हर जगह भारत बंद होगाआज कई गांव में किसानों को मजदूरों को वह छात्र-छात्राओं को पंपलेट बांटे गए और कई गांव में दौरा किया और जगह-जगह श्रमिकों को किसानों को पंपलेट बांटे गए भारत बंद सफल बनाने के लिए किसान सभा जिला अध्यक्ष कांजी मीना ने बताया कि हमारा देश गंभीर आर्थिक सामाजिक व और राजनीतिक संकट से गुजर रहा है एक तरफ हमारे संविधान लोकतंत्र संघीय ढांचे और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर हमले किए जा रहे हैं हमारे सदियों से चले आ रहे आपसी प्यार परस्पर सम्मान और भाईचारे को खत्म किया जा रहा है तो दूसरी तरफ ऐसी आर्थिक नीतियां लाई जा रही है तो दूसरी तरफ ऐसी आर्थिक नीतियां लाई जा रही है जिनसे हमारी खेती किसानी उद्योग धंधे सब गहरे संकट में हैं और बर्बादी के कगार पर है जिसका सीधा बुरा प्रभाव उनसे जुड़ी 80% ग्रामीण जनता पर पड़ रहा है जिनकी आजीवी का उससे जुड़ी हुई है महंगाई बेरोजगारी सातवें आसमान पर है सार्वजनिक क्षेत्र रेल बैंक बंदरगाह हवाई अड्डा जहाज सब बेचे जा रहे हैं पेट्रोल डीजल खाद बीज कृषि यंत्र सब महंगे दामों पर मिल रहे हैं खेती की लागत बढ़ रही है और किसने की उपज के दम नहीं मिल रहे हैं केंद्र सरकार की कृषि आयात निर्यात नीति पूरी तरह से किसान विरोधी है प्राकृतिक आपदा फसलों को लगने वाली बीमारी जैसे इस साल गुलाबी सुडी से नरमा कपास को हुआ नुकसानौ पशुओं को बीमारी जैसे गायों को लंबी की बीमारी किसान व पशुपालक की कमर तोड़ देते हैं प्रधानमंत्री फसल योजना व अन्य बीमा पॉलिसी किसान हित में कम बीमा कंपनियों का मुनाफा देने में काम कर रही है इन किसान विरोधी नीतियों की मार से किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ रहा है कृषि संकट का विपरीत प्रभाव खेती किसानी से जुड़े खेती हर मजदूर में अनेक ग्रामीण जनता पर पड़ रहा है और वह आत्महत्या करने को मजबूर है अन्य आर्थिक नीतियों का परिणाम था कि केंद्र सरकार तीन कल कृषि कानून को लेकर आई जिसका देश के किसानों ने आम अवाम के सहयोग से तीव्र विरोध किया और ऐतिहासिक किसान आंदोलन के दबाव में भाजपा सरकार को तीनों काले कानून वापस लेने पड़े तीनों कई कानून तो वापस ले लिए लेकिन कोऑपरेटिव घरों के पक्ष की नीतियां लगातार जारी रही है किसान आंदोलन की समाप्ति पर केंद्र सरकार द्वारा दिए लिखित आश्वासन को केंद्र सरकार ने लागू नहीं किया जिम किसानों पर से बने मुकदमे वापस लेने लखीमपुर खीरी के देशों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा किसानों की उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद की गारंटी का कानून बनाना शामिल था जिस पर कोई अमल नहीं करके केंद्र सरकार ने वादा खिलाफी की है अभी स्थिति यह है कि केंद्र सरकार कई जिंसों का समर्थन मूल्य तो तय करती है लेकिन सब की खरीद नहीं करती कुछ दिल तो समर्थन मूल्य के दायरे में ही नहीं है जैसे गवार मोठ आदि जिन फसलों की खरीद की स्वीकृति प्रदान की जाती है उनका भी कुल उत्पादन का 25% खरीद का कोठा तय किया जाता है जोकी पूरा नहीं किया जाता गत वर्ष राजस्थान में यदि अकेले चने और सरसों की तरह सुधा खरीद पंजीकृत किसानों से कर ली जाती तो किसानों को 740 करोड रुपए ज्यादा मिलते किसानों को चना 1100 रुपए और सरसों 950 रुपए कम में बेचनी पड़ी यही हाल इस वर्ष भीहोने वाला है अभी नई सरसों बाजार में आई नहीं की भाव समर्थन मूल्य से ₹1000 कम हो गए हैं और मंदी के चलते 40% तेल मिल बंद हो गई है यह सब पोमाईल अन्य खाद तेल के आयात शुल्क में भारी छूट देने से हो रहा है ऐसे ही अन्य जिंसों के आयात निर्यात को लेकर भी आने को उदाहरण है जो केंद्र सरकार की नीति के कारण फसलों के भाव गिरने का कारण बनते हैं इसलिए किसान अपनी फसल के लाभकारी समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाने की मांग करते हैं दूसरा किसानों एवं खेती हर मजदूर की कर्ज माफी का सवाल है जिनके चलते उनकी जमीन कुर्क होती है और वह आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं और किसने की अन्य मांगे सभी फसलों की गारंटी सुधा खरीद के लिए स्वामीनाथन किसान आयोग की सिफारसी टू प्लस 50% के आधार पर कानून बनाया जाए किसने खेती हर मजदूर के कर्ज माफ किया जाए लखीमपुर खीरी कांड के दोषी केंद्रीय मंत्री अजय टोनी के खिलाफ कार्यवाही की जाए उसे मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए चार श्रमिक विरोधी काले कानून तथा आईपीसी सीआरपीसी में के संशोधन रद्द किया जाए नौकरियों में ठेका प्रथा बंद हो और न्यूनतम वेतन ₹26000 मासिक पेंशन किया जाए भूमि अधिग्रहण कानून 2013 लागू किया जाए आदिवासी क्षेत्र के निवासियों के जमीन घर के पत्ते दिए जाएं बेदखलिया बंद हो तथा उनके जल जंगल और जमीन के अधिकार सुरक्षित किया जाए फसल बीमा योजना में बदलाव करके किस इतने किया जाए ऐसी कई समस्याओं को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 16 फरवरी को भारत बंद करने का आह्वान किया है अधिक से अधिक संख्या में जिले की जनता भारत बंद को सफल बनावे


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