बांसवाड़ा | भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के बैनर तले सोमवार को उपखण्ड अधिकारी रामचंद्र खटीक के मार्फत से महामहिम राष्ट्रपति महोदया, प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री भारत सरकार के नाम सौंपा ज्ञापन। ज्ञापन में बताया कि भारत के आदिवासी समुदाय से जुड़े ज्वलंत मुद्दे एवं संविधान के अनुच्छेद 3 (क, ख, ग, घ, ड) के तहत पश्चिमी भारत के भील आदिवासी सांस्कृतिक क्षेत्र के चार राज्यों का सीमाई इलाका एवं केन्द्र शासित प्रदेश को जोड़कर भीलप्रदेश राज्य के गठन की मांग की। ज्ञापन में बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप में 20 लाख साल पहले से रह रहे आखेटक खाध्य संग्राहक मानव समूह के वंशज आदिवासी है। पुरातात्विक स्थल विन्धयाचल-सातपुड़ा-अरावली पर्वतमाला में क्रमशः बेलन नदी घाटी, भीमबेटका एवं साबरमती नदी बेसिन में मिले हैं। भारत की इस मूल संस्कृति मानव समूह के संरक्षण के लिए “भील प्रदेश राज्य” गठन आवश्यक है। भारत भूमि की मूल मिट्टी की मूल उपज भील आदिवासी है। पश्चिम भारत के इस इलाके में ईरानी, यूनानी, पार्थियन, शक, कुषाण, हूण, अरब, तुर्क, मुगल विदेशियों के वंशज भी आकर बसे जिससे भारत की मूल संस्कृति,सभ्यता, बोली,धर्म के अस्तित्व के रक्षार्थ भील सांस्कृतिक, भाषाई,ऐतिहासिक क्षेत्र को जोड़कर “भील प्रदेश राज्य” का गठन होना चाहिए था, मगर आज़ादी के बाद नहीं हुआ और चार राज्यों में पूरा इलाका बांट दिया गया। राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश की विधानसभाओं में “भीलप्रदेश राज्य” का प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भिजवाया जाए। विश्व आदिवासी दिवस 09 अगस्त पर “राष्ट्रीय अवकाश” घोषित करने। वन संरक्षण कानून-2023 आदिवासी क्षेत्रो (अनुसूचित क्षेत्रो) में लागू न करने। भारत के आदिवासी क्षेत्रो (अनुसूचित क्षेत्रों) में वन विभाग की जमीन वृक्षारोपण-वन संरक्षण-वन्य जीवों के संरक्षण के लिए आदिवासियों को सुपुर्द की जाने। सभी आदिवासियों को Aborigines or Indigenous घोषित कर भारत की खनिज संपदा का 25% शेयर होल्डर बनाया जाए। राजस्थान विधानसभा की 17वीं विधानसभा में चौरासी विधायक राजकुमार रोत द्वारा अनादिकाल से भीलीपूजा पद्धति में इस्तेमाल होने वाले ‘भीली पूजा पदार्थ महुआ अर्क (हरू) का पेटेन्ट एवं लाइसेंस’ भील आदिवासियों को देने की मांग के उलट ‘राजस्थान सरकार ने आबकारी विभाग द्वारा गंगानगर शुगर मिल’ को महुआ शराब बनाने का निर्णय लिया है। इसका हम विरोध करते हुए हमारी मूल मांग महुआ अर्क (हरू) का पेटेन्ट एव लाइसेंस भील आदिवासियों को ही दिया जाए। राजस्थान-गुजरात- महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश (भीलप्रदेश) में सरकारी आबकारी विभाग संचालित अंग्रेजी शराब दुकानों से शराब व्यापार प्रतिबंधित हो और ‘आदिवासी इलाका दारू विहिन इलाका’ घोषित करने।राजस्थान-गुजरात- महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश (भीलप्रदेश) में ‘भील आदिवासियों के लिए कानून बनाकर जल आरक्षण का प्रावधान’ बनाकर अविलम्ब अमलीकरण किया जाने।राजस्थान -गुजरात-महाराष्ट्र -मध्यप्रदेश (भीलप्रदेश) अनुसूचित क्षेत्रों में संविधान के अनुच्छेद 244 (1) की मूल भावना अनुरूप प्रशासन में आरक्षण लागू किया जाने। आदिवासी इलाकों (अनुसूचित क्षेत्र पांचवी अनुसूची टेरीटरी) में पुलिस प्रशासन में सामंतवादी लोगों की ही भर्ती की जा रही है। जो रजवाड़ों की स्थापना से आदिवासियों के दमन में लगे है, हमारी मांग है कि ‘पुलिस थाना क्षेत्र की आदिवासी जनसंख्या के अनुपात में आदिवासी पुलिस कर्मियों को अनिवार्ययतः प्रतिनिधित्व दिया जाए।’ तथा साथ ही भील वंश एवं उप समूह (गरासिया, डामोर, भीलाला, बारेला, पटलिया, राठवा, नायक, वारली, पारधी, मानकर, कोली बारिया, कूकणा, पावरा, वसावा, गावित, पाडवी महादेव कोली) गोंडवाना लैण्ड के विभाजन के समय पृथक हुए भारतीय खंड में जीवों के क्रमिक विकास से उपजा होमोसेपियंस मूलवंश है। जो अरावली-विंध्याचल-सातपुडा एवं इन पर्वतमालाओं की नदियों की उम्र बराबर समय काल से भारतभूमि पर निरंतर रहवास कर रहे है। जो पश्चिम सिंध से पूर्व दिशा में बंगाल की खाड़ी से त्रिपुरा राज्य तक फैले हुए है। भारतीय उप महाद्वीप में विकसित हडप्पा- मोहनजोदड़ो सभ्यता (सिंधुघाटी सभ्यता) भील सहित आदिवासी पूर्वजों की देन थी। हड़प्पाई संस्कृति आज भी आदिवासी समुदाय में जीवित देखी जा सकती हैं इसे सरक्षित करने के लिए भील आदिवासी सामाजिक कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में ‘भीली संस्कृति बोर्ड’ के गठन की मांग की। इस दौरान भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ब्लॉक संयोजक, बीसीसी प्रभारी,भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा, भील प्रदेश युवा मोर्चा, महिला मोर्चा एवं भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) के प्रदेश, संभाग, जिला व ब्लॉक के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे। यह जानकारी राहुल भूरिया ने दी।