फूलिया कला|विश्व पृथ्वी दिवस के उपलक्ष्य में आदर्श विद्या मंदिर, फूलिया कला में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शाखा फूलिया कला की ओर से आयोजित इस आयोजन का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुआ। कार्यक्रम में विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न पहलुओं की जानकारी सरल भाषा में दी गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के प्रधानाचार्य दया शंकर जोशी ने की। उन्होंने सभी अतिथियों का आत्मीय स्वागत करते हुए कहा कि आज की पीढ़ी को प्रकृति के प्रति जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी भी साझा की।
बीजों को फेंककर वृक्षारोपण की सरल प्रेरणा
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं पर्यावरण संयोजक जितेन्द्र व्यास ने विद्यार्थियों को अत्यंत सहज एवं व्यावहारिक तरीके से पर्यावरण बचाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा, “आप जो फल खा रहे हैं, उनके बीजों को न फेंकें, बल्कि जब आप गांव, खेत या ननिहाल की ओर जाएं, तो रास्ते में इन बीजों को दोनों ओर फेंकते जाएं। इससे बिना अधिक श्रम के अधिक संख्या में पौधे उग सकेंगे।”
व्यास ने बच्चों को सिंगल यूज प्लास्टिक से होने वाले नुकसान के बारे में बताया। उन्होंने आग्रह किया कि जब भी सामाजिक कार्यक्रम हों, तो डिस्पोजेबल प्लास्टिक की बजाय स्टील की थाली और गिलास का उपयोग किया जाए। इसके लिए समाज को मिलकर सहयोग करना चाहिए। “अगर हम थोड़ा प्रयास करें, तो वायु एवं मिट्टी प्रदूषण से बचा जा सकता है,” उन्होंने कहा।
सिंगल यूज प्लास्टिक पर नियंत्रण जरूरी
उन्होंने सब्जी खरीदने जैसे दैनिक कार्यों में भी पर्यावरण के प्रति सजग रहने की अपील की। “कपड़े का थैला लेकर बाजार जाएं, ताकि प्लास्टिक थैलियों का उपयोग कम हो और बाजार से इसका चलन धीरे-धीरे समाप्त हो,” उन्होंने विद्यार्थियों को समझाया।
इसके साथ ही व्यास ने गोबर की खाद के अधिक उपयोग पर बल दिया और बताया कि रासायनिक उर्वरकों की तुलना में यह मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाती है और प्राकृतिक संसाधनों को संतुलित रखती है।
प्राकृतिक संतुलन में मानव की भूमिका अहम: नौलखा
बसंत कुमार नौलखा, जो कि प्रांतीय दायित्वधारी हैं, ने कहा, “कचरा करने वाले भी हम हैं और उसे साफ करने वाले भी हम ही होंगे।” उन्होंने पर्यावरण की रक्षा के लिए आत्मचिंतन और स्वयं के व्यवहार में बदलाव की आवश्यकता बताई। उन्होंने विद्यार्थियों को अधिक से अधिक वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित किया और कहा कि ये छोटे-छोटे प्रयास ही एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
धरती माता और पेड़ों की सहनशीलता से सीखें: कुमावत
बजरंगलाल कुमावत ने विद्यार्थियों को पेड़ों के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “मानव जीवन धरती और पेड़ों पर ही आश्रित है। हम पेड़ों को काटते हैं, उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं, फिर भी वे हमें फल और छाया देते हैं। हमें भी इसी तरह सहनशील बनना चाहिए।”
उन्होंने बच्चों को प्रकृति के साथ तालमेल बैठाने, उसका सम्मान करने और प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करने की सलाह दी।
विद्यालय परिवार का आभार
अंत में सभी अतिथियों ने विद्यालय परिवार की सराहना करते हुए कहा कि परीक्षा काल होते हुए भी जिस प्रकार विद्यालय ने पृथ्वी दिवस को समर्पण और जागरूकता के साथ मनाया, वह सराहनीय है। उन्होंने प्रधानाचार्य दया शंकर जोशी और उनकी पूरी टीम को बधाई दी, जिनके प्रयासों से यह आयोजन सफल रहा।
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। बच्चों के चेहरों पर उत्साह और सीख की झलक स्पष्ट दिखाई दी। इस अवसर पर विद्यालय स्टाफ, अभिभावकगण एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।