विश्व बाघ दिवस पर चित्रकारी के माध्यम से दिया बाघ संरक्षण का संदेश‌।

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सवाई माधोपुर, 30 जुलाई। जिला कलक्टर डॉ. खुशाल यादव ने निर्देशन में विश्व बाघ दिवस 29 जुलाई के शुभ अवसर पर जयपुर आर्टस समिट, एस्ट्रल पाईप और राजस्थान पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वाधान में चार दिवसीय चित्रकला कार्यशाला सेव द स्ट्राइप्स का आयोजन 26 से 29 जुलाई के मध्य रणथम्भौर के होटल आरटीडीसी विनायक में हुआ।
इस दौरान 22 राष्ट्रीय स्तर के चित्रकारों द्वारा जीवन्त कला शिविर एवं 18 राष्ट्रीय कलाकारों द्वारा बनाई गई बाघों की पेटिंग्स का प्रदर्शन भी होटल विनायका में किया गया। जयपुर आर्टस समिट के निदेशक शैलेन्द्र भट्ट ने बताया कि इन बाघांे की चित्रकारी के माध्यम से बाघ जैसे राष्ट्रीय पशु के संरक्षण के लिए आमजन में जागरूकता में लाने का कार्य किया जा रहा है।
कार्यशाला के संयोजक सवाई माधोपुर के विजय कुमावत ने बताया कि इस कलाकारों को अपनी कला के प्रदर्शन के साथ-साथ वन्यजीव टाईगर के संरक्षण आम जन में जन-जागरूकता एवं सहभागिता भी प्राप्त होती है। लखनऊ से आए कला समीक्षक एवं नाद रंग पत्रिका के संपादक आलोक पराडकर ने कला वार्ता में कला वैचारिकी और चेतना विषय पर विचार प्रकट किए।
जयपुर के कवि-चित्रकार अमित कल्ला ने अपने दोनो कैनवासों पर बाघ और उससे जुडे विभिन्न तत्वों को प्रतीकात्मक रूप में अमूर्तन शैली के माध्यम से दर्शाना का प्रयास किया है। जहां रंगों की गत्यात्मकता, बिम्ब प्रतिबिंबों में बाघ की चेतना को दृश्यात्मक रूप से प्रतिध्वनित करने का प्रयास किया है।
ग्वालियर मध्य प्रदेश के चित्रकार डॉ. अमिता खरे ने इस आर्ट कैंप में जो कलाकृति सृजित की है उसमें उन्होंने टाइगर और टाइग्रेस की खूबसूरती को दर्शाया है उनका मानना है कि जैसे हम मनुष्यों में प्रेम और सौन्दर्य होता है, वैसे ही जानवरों में भी ये विद्यमान होते हैं। इस आर्ट कैंप में आकर मुझे टाइगर से संबंधित रोचक जानकारियां प्राप्त हुई क्योंकि प्रकृति और टाइगरों का घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है।
पतादृ भिंड, मध्यप्रदेश के चित्रकार नवनीत सिंह ने एस्ट्रल लिमिटेड के सहयोग से जयपुर आर्ट समिट कैंप रणथंम्भोर में 2 कलाकृतियां 24 गुणा 24 इंच कैनवास पर बनाई है।
ये कलाकृतियो सेव द टाइगर प्रोटेक्ट द फोरेस्ट पर आधारित हैं। पहली पेंटिंग में उन्होंने बाघ को जंगल पर राज करते हुए सोफा पर जंगल के रक्षक के रूप दिखाया है, इसमे बाघ की मासूमियत चित्रित है। वहीं दूसरी कलाकृति में बाघों के साथ वनों को दर्शाया है। कलाकृति में ताकत, गरिमा, और सुंदरता उसे विशेष बनाती है।
दिल्ली के चित्रकार सुरेश कुमार ने सेव द टाईगर मेरी अभियान पेंटिंग मासूमियत के सार और राजसी बाघों के गौरव को दर्शाती है। उनका पहला टुकड़ा एक युवा बाघ की नाजुक मासूमियत को चित्रित करता है, जबकि दूसरा अपने प्राकृतिक आवास में एक वयस्क बाघ के शाही गौरव का जश्न मनाता है।
जयपुर के चित्रकार रवि कांत शर्मा (रवि माईकल) ने दोनांे चित्रों का चित्रण का आधार अमित कल्ला के द्वारा लिखी गई कविता को बनाया गया है। जिसमे रेखाओं के माध्यम से टाइगर और उस की आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाने का प्रयास किया हैं।
रणथम्भोर आर्ट कैम्प के सबसे युवा चित्रकार चार वर्षीय मास्टर प्रारूप कुमावत ने उनके पिता वन्यजीव चित्रकार विजय कुमावत को देखकर उनके मार्गदर्शन में वन और वन्यजीवों को अपने कागज और कैनवास पर उकेर कर बाघ संरक्षण का संदेश दिया है।
बूंदी के चित्रकार सुनील जाँगीड की टाइगर की उनकी पेंटिंग में बूंदी शैली का प्रदर्शन हुआ है। जिसमें एक पेटिंग में बाघ को हिरण का शिकार करते हुए हिंसक पशु के रूप में वहीं दूसरी पेंटिंग में मां की ममतामयी तस्वीर उकेरी गई है।


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