परगना बारा के सभी विकासखंडों में 27 विभागों की ओर से किया गया पौधारोपण कागजों में हरी भरी है धरती
प्रयागराज। शासन की ओर से प्रतिवर्ष पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। लगभग एक माह तक पर्यावरण संरक्षण के नाम पर पौधारोपण कार्यक्रम चलाया जाता है। क्षेत्र में लाखों पौधे रोपे जाते हैं पथरीली जमीन होने और सिंचाई के अभाव में अधिकांश पौधे सूख जाते हैं। बीते वर्ष भी कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा ,ग्राम पंचायत,वन विभाग के अधिकारी और जनप्रतिनिधि तालाब के किनारे,खेतों में, अस्पताल परिसर, विद्यालय परिसर, गौशाला, खेल मैदान एवं सड़कों के किनारे पौधे लगाकर फोटो खिंचवाकर वन महोत्सव मनाया गया था। लेकिन देखभाल की कमी के कारण शासन के लाखों रुपए के पौधे सूख कर विलुप्त हो गए। जमीनी हकीकत यह है कि प्रतिवर्ष उसी स्थान पर फिर से गड्ढा खोदकर पौधारोपण किया जाता है। विकासखंड जसरा के 63 ग्राम पंचायतों में एवं अन्य विभागों की ओर से लगभग डेढ़ लाख पौधे लगाए गए थे। जिसमें प्रत्येक गांव में लगभग 2000 पौधे लगाने का लक्ष्य था। जसरा ब्लाक बारा, चामू, रेही,छीड़ी, बैजला,सरसेंड़ी,सेहुड़ा,गींज, असरवई,बीकर आदि गांव में पिछले वर्ष पौधा रोपण किया गया था जो सिर्फ वन विभाग के अधिकारियों के कागजों में हरा भरा है। विकासखंड कौंधियारा के 57 ग्राम पंचायतों में प्रतिवर्ष लगभग सवा लाख पौधे लगाए जाते हैं। निरौंधा, जोकनई, कैथा सहित कई ग्राम पंचायतों में एक ही जगह कई बार पौधे लगाए गए हैं। पौधे की लागत मजदूरी एवं अन्य खर्चो पर भारी भरकम रकम सरकार द्वारा खर्च करने के बाद भी एक पौधा नहीं तैयार हो पाता है। सुरक्षा संरक्षण एवं देखरेख के अभाव में ज्यादातर पौधे सूख जाते हैं या जानवर सफाचट कर जाते हैं। विकासखंड शंकरगढ़ के 76 ग्राम पंचायतों के प्रत्येक गांव में लगभग 2000 पौधे लगाने का लक्ष्य था। मगर कागजों में वह पेड़ आज भी हरे भरे हैं लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अधिकांश पेड़ सूख चुके हैं। विगत वर्ष शंकरगढ़ वन रेंज में लगभग सवा लाख पौधे रोपित किए गए थे लगभग पौने 6 लाख पौधे बीज से तैयार किए गए थे। इस वर्ष भी पूरे जिले में 73 लाख 15 हजार 160 पौधों की रोपाई की जानी है। इस काम के लिए 24 विभाग लगाए गए हैं इनमें से वन विभाग अकेले 22 लाख 45 हजार 300 पौधे और पर्यावरण विभाग 2 लाख 27 हजार पौधों की रोपाई करेगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि पौधे लगाने के बाद पौधे संरक्षित हो पाएंगे या ऐसे ही कागजों में हरे भरे बने रहेंगे।