सरकार से वन्यजीव संरक्षण के लिए विशेष कदम उठाने की मांग
भीलवाड़ा विधायक अशोक कुमार कोठारी ने वन मंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मेवाड़ क्षेत्र के तेंदुए (पैंथर) के संरक्षण की मांग की है। उन्होंने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत तेंदुए को एक लुप्तप्राय प्राणी बताते हुए कहा कि इसकी आबादी लगातार घट रही है। इसके संरक्षण के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। विधायक ने कहा कि तेंदुए अक्सर वन क्षेत्रों से सटी मानव बस्तियों में घुस जाते हैं, जिसके कारण मानव और तेंदुए के बीच संघर्ष होता है, लेकिन कई स्थानों पर ये दोनों शांति से सहअस्तित्व में रहते हैं।
2017-18 में घोषित श्प्रोजेक्ट लेपर्डश् पर ध्यान देने की आवश्यकता—-
विधायक कोठारी ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि वर्ष 2017-18 में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा श्प्रोजेक्ट लेपर्डश् के तहत 7 करोड़ के बजट की घोषणा की गई थी, लेकिन उसके बाद इस परियोजना पर ध्यान नहीं दिया गया। कोठारी का कहना है कि तेंदुए न केवल एक लुप्तप्राय प्राणी हैं, बल्कि ये पर्यटन को भी आकर्षित करने का बड़ा माध्यम बन सकते हैं। जयपुर के झालाना और पाली के सवाई अभ्यारण में इसका सफल उदाहरण देखा जा सकता है। भीलवाड़ा के मांडल, आसीन्द, माण्डलगढ़, और बिजौलिया क्षेत्रों में भी पैंथरों की अच्छी उपस्थिति रहती है।
पैंथर अभ्यारण्य का प्रस्ताव—
विधायक ने सुझाव दिया कि यदि भीलवाड़ा जिले के बिजौलिया के जंगलों में पैंथर के लिए एक अभ्यारण्य बनाया जाता है, तो इससे न केवल पैंथर की आबादी सुरक्षित होगी, बल्कि इस क्षेत्र में होटल व्यवसाय और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। कोठारी ने बताया कि राजसमंद और कुम्भलगढ़ के जंगलों से भी पैंथर कई बार भीलवाड़ा की ओर आ जाते हैं, जिससे इस क्षेत्र में एक संरक्षित क्षेत्र की आवश्यकता महसूस होती है।
पैंथर को नरभक्षी कहना अनुचित—
विधायक कोठारी ने यह भी स्पष्ट किया कि पैंथर मुख्य रूप से छोटे जानवरों जैसे बकरी, भेड़, कुत्ते, और बिल्लियों का शिकार करता है, लेकिन कई बार इसे गलत तरीके से नरभक्षी या आदमखोर करार दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह एक मांसाहारी जीव है, जो आमतौर पर इंसानों से दूरी बनाए रखता है और बड़े जानवरों से मुठभेड़ से बचता है। इसलिए, पैंथर को नरभक्षी कहे बिना इसके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए।
संरक्षण के सुझाव–
विधायक कोठारी ने सरकार को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए ताकि पैंथर की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और उनकी घटती आबादी को बढ़ाया जा सके। उन्होंने सरकार से अपील की कि पैंथर संरक्षण के प्रयासों को प्राथमिकता दी जाए और इसे एक संरक्षित जीव के रूप में सम्मानित किया जाए, जिससे इस क्षेत्र की जैव विविधता को बनाए रखा जा सके और साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिले। यह मांग क्षेत्रीय वन्यजीवों की सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।