सनातन काल की आयुर्वेद चिकित्सा पद्वति के सरंक्षण की महत्ती जरूरत- पं. शास्त्री
भीलवाड़ा जिले के श्री नवग्रह आश्रम ने समाज सेवा के क्षेत्र में एक अनूठी मिसाल पेश की है। इस आश्रम के संस्थापक अध्यक्ष हंसराज चोधरी ने आज बागेश्वर पीठाधीश्वर महंत पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से मुलाकात कर आश्रम की ओर से आयुर्वेद, कैंसर एवं आहार संबंधित पुस्तकों का सेट भेंट किया। इस अवसर पर पं. शास्त्री ने नवग्रह आश्रम के परमार्थ सेवा कार्यों की सराहना करते हुए सनातन काल से चली आ रही आयुर्वेद चिकित्सा पद्वति के संरक्षण पर जोर दिया।
हनुमंत कथा के समापन अवसर पर आयोजित इस भेंट कार्यक्रम में पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि भीलवाड़ा जिला अपनी विविधता और जनकल्याण के कार्यों के लिए पूरे विश्व में पहचान रखता है। रायला के पास स्थित श्री नवग्रह आश्रम, जो कि पादप चिकित्सा और आयुर्वेद में संलग्न है, अब सेवा क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान बना चुका है। उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे आधुनिक युग में पुनः प्रचलित करने की महत्ती आवश्यकता बताई।
पंडित शास्त्री ने कहा कि भारत में सनातन धर्म के संरक्षण के साथ-साथ आयुर्वेद जैसी प्राचीन चिकित्सा पद्वति का संरक्षण और प्रचार भी अति आवश्यक है। उन्होंने बागेश्वर बाबा की कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हुए लोगों को इस दिशा में आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि परमार्थ सेवा कार्यों के प्रति नवग्रह आश्रम की प्रतिबद्धता अन्य संस्थानों के लिए एक प्रेरणा है और देश भर में ऐसे प्रयासों की जरूरत है।
इस अवसर पर संस्थापक हंसराज चोधरी ने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को नवग्रह आश्रम के उद्देश्य और कार्यों की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार आश्रम में आयुर्वेदिक उपचार से कैंसर सहित विभिन्न गंभीर रोगों का इलाज किया जा रहा है, और आश्रम में आने वाले रोगियों को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो रहा है। चोधरी ने पीठाधीश्वर से सभी रोगियों के स्वस्थ होने का आशीर्वाद भी मांगा।