सपा और कांग्रेस का साथ क्या इस बार इलाहाबाद सीट पर गुल खिलाएगा या वनवास रूपी सूखा रहेगा जारी
प्रयागराज। इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार उज्जवल रमण सिंह से मतदान के पहले ही लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या प्रयागराज 52 संसदीय सीट से कांग्रेस के 40 साल के सूखे को खत्म कर पाएंगे। उन्होंने कुछ दिन पहले ही साइकिल की सवारी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया लेकिन उनके लिए कांग्रेस के 40 साल के सूखे को खत्म करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा। सपा और कांग्रेस का साथ इस बार क्या गुल खिलाएगा यह देखने वाली बात होगी। सभी राजनीतिक दलों ने अपनी अपनी तैयारियां तेज कर दी है इसके साथ ही इतिहास और भूगोल को जोड़कर जीत का समीकरण बनाने में जुटी हुई है। आजादी की लड़ाई से लेकर उसके बाद देश को कई प्रधानमंत्री देने वाला यह शहर रहा है नेहरू गांधी परिवार पैतृक घर वाला यह शहर कभी कांग्रेस पार्टी का गढ़ हुआ करता था लेकिन आज लोकसभा चुनाव लड़ाने के लिए कांग्रेस पार्टी के पास एक मजबूत उम्मीदवार तक नहीं है।1984 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने यूपी के दिग्गज नेता पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा को शिकस्त देकर इलाहाबाद लोकसभा सीट से सांसद बनकर संसद पहुंचे थे। अमिताभ बच्चन चुनाव जीतकर सांसद तो बन गए लेकिन इसके बाद वह यहां की जनता का दिल नहीं जीत सके जिसका नतीजा हुआ कि आज तक इस सीट पर कांग्रेस पार्टी को जीत नसीब नहीं हो सकी है। 1984 से लेकर 2019 तक के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी जीतना तो दूर कई बार जमानत तक नहीं बचा पाई है। जबकि कांग्रेस के टिकट पर केंद्रीय मंत्री स्तर तक के नेता चुनाव मैदान में उतरे थे यही नहीं देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री और सुनील शास्त्री ने भी इस सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए ताल ठोकी थी लेकिन कामयाब नहीं हुए थे। जबकि 1984 से लेकर 2014 तक देश में कांग्रेस की सत्ता रही है लेकिन संगम नगरी प्रयागराज की इलाहाबाद लोकसभा सीट पर कांग्रेस का बनवास 1984 से ही शुरू हो चुका है जो अभी तक जारी है अब देखना यह होगा कि इस शहर में कांग्रेस पार्टी को जीत का सेहरा बांधने का मौका इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के जरिए मिलेगा अथवा वनवास रूपी सूखा जारी रहेगा।