न सरहद न तोखा लेखपाल की पैमाइश बनी ग्रामीणों के लिए धोखा


अधिकारियों द्वारा निष्पक्ष समाधान के बजाय पक्षपात से ग्रामीणों में आक्रोश

प्रयागराज। जनपद के यमुनानगर के तहसील बारा अंतर्गत थाना लालापुर के मजरा गिधार गांव में ज़मीन को लेकर एक गंभीर विवाद सामने आया है। गांव के निवासी शिवानंद तिवारी, रामानुज तिवारी और रमाकांत तिवारी पुत्रगण रामायण तिवारी का आरोप है कि गांव के ही विपक्षी रवीनाथ द्विवेदी (पुत्र नंदकिशोर) उनकी भूमि संख्या 8 पर जबरन जल निगम की पाइपलाइन बिछाना चाहते हैं। शिवानंद तिवारी ने इस संबंध में उपजिलाधिकारी बारा को एक प्रार्थना पत्र देकर न्याय की मांग की थी। प्रार्थना पत्र के आधार पर उपजिलाधिकारी द्वारा हल्का लेखपाल नागेंद्र मिश्रा और कानूनगो विजयकांत पांडेय को मामले की जांच व निस्तारण हेतु निर्देशित किया गया।
पैमाइश में अनियमितता का आरोप
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि लेखपाल और कानूनगो ने विपक्षियों से तालमेल करते हुए बिना गांव की पारंपरिक सरहद (सीमा) और तोखा (स्थानीय सीमांकन) का अवलोकन किए पैमाइश कर दी, जिससे उनकी वैध भूमि को चकरोड में दिखा दिया गया।
चकबंदी के बाद से चकरोड है यथावत
ग्रामीणों ने बताया कि जिस स्थान को चकरोड बताया जा रहा है, वह चकबंदी के समय से ही निर्धारित है और कोई नई व्यवस्था नहीं है। ग्राम पंचायत द्वारा वर्षों पहले उस चकरोड पर खड़ंजा भी डलवाया गया था, जो आज भी मौजूद है।
न्याय के बदले नई समस्या शिवानंद तिवारी का कहना है कि अधिकारियों ने निष्पक्ष समाधान देने के बजाय पक्षपातपूर्ण कार्य करते हुए नई समस्या उत्पन्न कर दी। ग्रामीणों में इस निर्णय को लेकर रोष व्याप्त है।
पूर्व विवाद में पारदर्शिता थी गांव के ही निवासी मोहन प्रजापति ने बताया कि पहले विमला देवी (पत्नी गुलाबचंद) के प्रधानी कार्यकाल में जब उनका और बाबूलाल यादव का भूमि विवाद हुआ था, तब तत्कालीन लेखपाल बलवंत द्वारा निष्पक्ष पैमाइश की गई थी। उस समय भी चकरोड की नाप-जोख हुई थी और 6 इंच का अंतर सामने आया था, परन्तु किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं हुआ और बाउंड्री दीवार यथावत रही।
ग्रामीणों की मांग गांववासियों ने इस विवाद की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए उच्च अधिकारियों से लेखपाल एवं कानूनगो की भूमिका की जांच कराने की मांग की है ताकि गांव में शांति और न्याय सुनिश्चित किया जा सके।


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