श्रद्धालुओं के लिए खुला नवनिर्मित राम जन्मभूमि पथ, भक्तों का उमड़ा सैलाब, जय श्री राम के जयकारों से गुंजायमान हुई श्रीराम की नगरी अयोध्या
अयोध्या।भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में रामलला के मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। अक्टूबर 2023 में गर्भगृह बनकर तैयार हो जाएगा और रामलला 24 जनवरी 2024 में अपने दिव्य भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे। मंदिर में विराजमान होने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी होगी। रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान रामलला का दर्शन-पूजन करेंगे।राम मंदिर तक पहुंचने का नया रास्ता आज रविवार से ही खुल गया है। निर्माणाधीन राम मंदिर के ही अनुरूप ये नया रास्ता भी भव्यता का पर्याय है।रामजन्मभूमि पथ के नाम से नवनिर्मित ये मार्ग 566 मीटर लंबा और 30 मीटर चौड़ा है।बता दें कि इसके पहले रामजन्मभूमि तक जाने के लिए हनुमानगढ़ी और दशरथमहल के सामने से पारंपरिक मार्ग का प्रयोग होता था।
राम मंदिर निर्माण के साथ इस पारंपरिक मार्ग का भी चौड़ीकरण किया जा रहा है।राम मंदिर निर्माण पूरा होने और वहां रामलला की स्थापना के बाद तय किया जाएगा कि इस चौड़ीकरण के बाद इस पारंपरिक मार्ग का किस तरह उपयोग किया जाएगा।
रविवार को दूसरी बेला से यह पारंपरिक मार्ग रामलला के दर्शनार्थियों से मुक्त हो गया और रामलला के दर्शनार्थी हनमानगढ़ी के सामने से रामजन्मभूमि तक जाने की बजाय बिड़ला धर्मशाला और सुग्रीव किला के सामने से राम मंदिर की ओर बढ़े और अमावा राम मंदिर तथा रंगमहल के पीछे से होकर उन्होंने रामजन्मभूमि परिसर में प्रवेश किया।नवनिर्मित मार्ग का लोकार्पण वेद मंत्रों के बीच रामलला के दर्शनार्थियों पर पुष्पवर्षा के साथ किया गया।
इस अवसर पर रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय, तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य एवं अयोध्या राजपरिवार के मुखिया बिमलेंद्रमोहन मिश्र, डा. अनिल मिश्र, महंत दिनेंद्रदास, विहिप के शीर्ष नेता गोपालजी, तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्त, महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी, पूर्व महापौर रिषिकेश उपाध्याय, यूपी भूमि विकास बैंक के पूर्व चेयरमैन निशेंद्रमोहन मिश्र गुड्डू, विहिप के प्रांतीय प्रवक्ता शरद शर्मा आदि सहित मंडलायुक्त गौरव दयाल एवं जिलाधिकारी नितीशकुमार आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
दर्शन मार्ग बदले जाने से जहां रामलला के दर्शनार्थियों को कहीं अधिक सुगम, प्रशस्त तथा पांच सौ मीटर की दूरी कम करने वाला मार्ग उपलब्ध हुआ है,तो वहीं राम मंदिर का परकोटा निर्माण भी कारण माना जा रहा है। परकोटा निर्माण के लिए यह जरूरी माना जा रहा था कि पारंपरिक दर्शन मार्ग से राम मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का प्रवेश रोका जाय। हालांकि नवनिर्मित रामजन्मभूमि मार्ग अभी पूरा नहीं हुआ है, किंतु इतना जरूर बन गया है कि श्रद्धालुओं का उस पर आवागमन सुनिश्चित हो सके।
राम मंदिर ट्रस्ट के सहयोगी गोपाल राव जी ने बताया कि इस जन्मभूमि पथ पर सुरक्षा चेकिंग प्वॉइंट के साथ आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान रखते हुए यात्री सुविधा केंद्र लॉकर बनाया गया है, जहां श्रद्धालु अपना सामान रख सकेंगे। इससे श्रद्धालुओं को रामलला के दर्शन में सुविधा होगी।