सवाई माधोपुर 19 नवम्बर। संसार में हम जितनी भी चीजें देखते अथवा अनुभव करते हैं वह सारी परिवर्तनशील हैं। इनमें से किसी भी पदार्थ को शाश्वत सच्चाई नहीं कहा जा सकता। जिस प्रकार दिन ढलता है तब रात होती है और रात के ढलने के उपरान्त फिर से दिन की शुरुवात हो जाती है। ठीक उसी प्रकार किसी भी वस्तु अथवा पदार्थ के अस्तित्व को शाश्वत मान लेना हमारा भ्रम है क्योंकि वास्तविक सत्यता तो केवल इस निराकार परमात्मा में है जिसे विभिन्न नामों से पुकारा जाता है। इस निरंतर एकरस रहने वाली सच्चाई को अपनाने से निसंदेह हम सभी प्रकार के भ्रमों से मुक्ति पा सकते हैं।’’ समालखा में आयोजित तीन दिवसीय संत समागम के पावन अवसर पर रविवार रात्रि को सतगुरु माता ने लाखों की संख्या में सम्मिलित हुए श्रद्धालुओं को इन अमृतमयी प्रवचनों से अनुगृहीत किया।
मीडिया सहायक, संत निरंकारी मंडल, सवाई माधोपुर, प्रज्जवल प्रजापति ने बताया कि सतगुरु माता ने आगे कहा कि हम अक्सर अपने विचारों और आदतों में सीमित रहते हैं। इसे उदाहरण द्वारा समझाया गया, जैसे पानी के स्रोतों को देखकर किसी का दृष्टिकोण ग्लास, बाल्टी, तालाब, या समुद्र तक सीमित हो सकता है। इसी तरह, हमें अपने जीवन में सोच और समझ का विस्तार करना है। कुएं के मेंढक की भांति अपनी सीमित सोच को सच्चाई मान लेने से जीवन का वास्तविक और विशाल स्वरूप छूट सकता है।
इसके पूर्व निरंकारी राजपिता रमितजी ने अपने विचारों में कहा कि 77वें समागम में भाग लेना संतों और श्रद्धालुओं के लिए अनोखा अवसर है। यह समागम जीवन को गहराई और विस्तार प्रदान करता है। सद्गुरु की कृपा और शिक्षाओं ने मानव अस्तित्व को असीम और गौरवशाली बना दिया है। सच्चा स्वार्थ अपने अस्तित्व को पहचानने में है। सतगुरु सिखाते हैं कि जीवन का अर्थ समझने के लिए हमें अपने स्वार्थ से परे जाकर मानवता की सेवा करनी है।
सतगुरु समझाते हैं कि भक्ति केवल साधन नहीं, बल्कि साध्य है। जब भक्ति जीवन का केंद्र बन जाती है, तो सांसारिक सुख गौण हो जाते हैं। सतगुरु द्वारा प्रदत्त आध्यात्मिकता हमारी सोच, हमारी दृष्टि, हमारे प्रेम, सेवा, समर्पण, करूणा व अन्य दिव्य गुणों का विस्तार करती है। संगत में आकर ब्रह्मज्ञान प्राप्त करना और संतों के वचनों को सुनना, हमारी सोच को व्यापक बनाता है। जब हम इस निराकार से जुड़ते हैं, तो जीवन के हर रंग को अपनाते हुए उससे पृथक भी रहना सीखते हैं। यह निराकार हर समय, हर स्थिति में मौजूद है। इसे पहचानकर, हर व्यक्ति अपने जीवन को सही दिशा में विस्तार कर सकता है।
77वें निरंकारी संत समागम में आधुनिक कायरोप्रैक्टिक तकनीक के जरिए निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ प्रदान किया जा रहा है। प्रतिदिन 3, 000 से 4, 000 लोग इस तकनीक का लाभ उठा रहे हैं। अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, स्पेन, फ्रांस और भारत के 25 डॉक्टरों की एक टीम निरंतर सेवाएं कर रही हैं।
समागम स्थल पर पहली बार 100 बिस्तरों वाला अस्पताल बनाया गया है, जिसमें आईसीयू और चार वेंटिलेटर की सुविधा है। 40 एम्बुलेंस उपलब्ध हैं, जिनमें से 30 स्वास्थ्य विभाग द्वारा और 10 मिशन द्वारा प्रदान की गई हैं। सभी मैदानों में पांच डिस्पेंसरियां भी कार्यरत हैं। यहां प्रतिदिन 20, 000 मरीजों का निःशुल्क उपचार किया जा रहा है।
होम्योपैथी ग्राउंड ए और सी में होम्योपैथी की डिस्पेंसरी में प्रतिदिन 3, 000-4, 000 मरीज देखे जा रहे हैं। फिजियोथेरेपी के लिए 15 मशीनें उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त माइनर ओटी की सुविधा भी प्रदान की गई है। विशेषज्ञ सेवाएं दिल, ऑर्थाेपेडिक, छाती संक्रमण, आंखों और ईएनटी के मरीजों का उपचार किया जा रहा है। इन सेवाओं को 1, 000 सर्जन, मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिससे समागम में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर उच्चतम बना हुआ है।
2015 से लगातार पत्रकारिता कर रहे हैं। 2020 तक उन्होंने दैनिक समाचार पत्र राजस्थान खोज खबर में काम किया। 2021 से 2022 तक दैनिक भास्कर डिजिटल न्यूज और साधना न्यूज़ में। 2021 से अब तक वे आवाज आपकी न्यूज पोर्टल और गंगापुर हलचल (साप्ताहिक समाचार पत्र) में संपादक और पत्रकार हैं। साथ ही स्वतंत्र पत्रकार हैं।