बौंली। मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी माघ कृष्ण प्रतिपदा मंगलवार पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र के संयोग में मनाया जाएगा। जब सूर्य राशि बदलकर उत्तरायण होते हैं तब संक्रांति का त्योहार मनाया जाता हैं। मकर संक्रांति पर्व सूर्य के चारों ओर पृथ्वी द्वारा की जाने वाली परिक्रमा की गणना के आधार पर मनाया जाता हैं। इस बार पीतांबरी वस्त्रों में व्याघ्र (बाघ) पर सवार होकर आएगी। उपवाहन अश्व (घोड़ा) होगा। 14 जनवरी की सुबह 8:55 बजे सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि मकर संक्राति का पुण्यकाल सूर्योदय से सूर्यास्त तक और सुबह 8:55 से शाम 5:55 बजे तक रहेगा। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर मिलने जाते हैं। शनि मकर व कुंभ राशि के स्वामी हैं। इसी दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाता हैं। आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व माना गया हैं । मेष,तुला,सिंह और मिथुन राशि के जातक कंबल दान करें। वृषभ और कन्या राशि के जातक वस्त्र दान कर सकते हैं। कर्क राशि वाले दूध या घी दान करें। वृश्चिक,धनु और मीन राशि के जातकों के लिए चावल और फल का दान करना शुभ होगा। कुंभ एवं मकर राशि वालों को काले तिल का दान करना चाहिए।