मिशन निदेशक जितेंद्र सोनी ने टीम को किया सम्मानित
मातृ स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण पर कार्यशाला का हुआ आयोजन
सवाई माधोपुर, 2 जुलाई। प्रदेश में मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुदृढ़ कर संचालित करने एवं सघन नियमित मोनिटरिंग तंत्र प्रभावी करने व सुरक्षित प्रसव सेवाएं सुनिश्चित करने वाले ‘लक्ष्य कार्यक्रम’ के तहत सवाई माधोपुर के जिला अस्पताल को राज्य स्तरीय पुरुस्कार प्रदान किया गया है।
मिशन निदेशक एनएचएम डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी, निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर तथा परियोजना निदेशक मातृ स्वास्थ्य डॉ. तरुण चौधरी ने सुरक्षित प्रसव सेवाएं सुनिश्चित करने वाले ‘लक्ष्य कार्यक्रम’ के तहत राष्ट्रीय स्तर पर सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाले 21 चिकित्सालय संस्थानों को राज्यस्तर पर सम्मानित किया। जिसके तहत सवाई माधोपुर जिला चिकित्सालय को 6 लाख रुपये का पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
जिला अस्पताल को यह सम्मान जिला कलक्टर सुरेश कुमार ओला के नेतृत्व, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. धर्मसिंह मीना के निर्देशन, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. बीएल मीना व टीम के सहयोग से मिला है। जयपुर में मिशन निदेशक के हाथों से सीएमएचओ धर्मसिंह मीना, डॉ. चेतराम मीना स्त्री रोग विशेषज्ञ व आदित्य तोमर ने पुरस्कार ग्रहण किया।
मिशन निदेशक ने सभी राष्ट्रीय स्तर पर सर्टिफिकेशन प्राप्त करने वाले संस्थानों को सम्मान प्रदान करते हुए शुभकामनांए दी और अन्य चिकित्सा संस्थानों को भी लक्ष्य कार्यक्रम के निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार कार्यवाही करते हुए सम्मान पाने के लिए प्रेरित किया।
चार नावाचार किये लांच:- इस अवसर पर चार नवाचारों का विमोचन किया गया। अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कैलाश सोनी ने बताया कि प्रदेश में 2 हजार 65 डिलीवरी प्वाइंट चिन्हित हैं जिनमें से 160 केन्द्रों पर फर्स्ट रैफरल सेवाओं वाले केन्द्र हैं। उन्होंने बताया कि इन केन्द्रों पर प्रसव व सीजेरियन सेवाओ की राज्य व जिला स्तर से सीधे मॉनीटरिंग के लिए चिकित्सा विभाग द्वारा तैयार किया गया मॉनिटरिंग डैशबोर्ड बहुत उपयोगी साबित होगा। उन्होंने बताया कि इस डैशबोर्ड के माध्यम से लाभार्थियों को सामान्य प्रसव की सुविधा उनके घर के 10 से 12 किलोमीटर की नजदीकी दूरी पर ही उपलब्ध कराने की सुनिश्चितता की जा सकेगी।
निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि मातृ मृत्यु में प्रसव पश्चात अत्यधिक रक्त सा्व एक महत्वपूर्ण कारण होता है और अचानक होने वाली इस स्थिति में महिला के जीवन को खतरा होने की पूर्ण संभावना रहती है। उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ द्वारा तैयार व विमोचन की गई नई तकनीक ‘इमोटिव मंडल‘ को प्रसव की जटिल स्थिति से निपटने में महत्वपूर्ण साबित होगी। उन्होंने बताया कि राजस्थान यूटरिन बैलून टेंपोनेड का भी उपयोग शुरू किया जा रहा है और स्त्री रोग विशेषज्ञों द्वारा इसे प्रबंधन पीपीएच में यह कारगर साधन रहेगा जो सुरक्षित प्रसव में उपयोगी रहेगा।
मातृ स्वास्थ्य परियोजना निदेशक डॉ. तरूण चौधरी ने बताया कि कार्यशाला में गुनगुन नामक पात्र की काल्पनिक कहानी की डॉक्यूमेंट्री फिल्म का विमोचन किया गया है। इस लघु फिल्म में जिसमें एक साधारण परिवार में जन्मी बच्ची किस तरह से अपने जीवन में बेहतरीन शिक्षा हासिल करने का प्रयास करती है साथ ही किशोर अवस्था से एक महिला व माता के जीवन चक्र में विभिन्न चिकित्सीय सुविधाएं एवं ली जाने वाली सेवाओं के बारे में उपयोगी जानकारी दी गयी है। उन्होेंने बताया कि इस फिल्म के माध्यम से प्रसव के बाद चिकित्सा संस्थानों में 48 घंटे के ठहराव के दौरान माताओं को अपनी बच्चियों के बेहतरीन देखभाल के लिए आवश्यक ज्ञान व जानकारी प्रदान की गयी हैं।
कार्यक्रम में युनिसेफ के विशेषज्ञ डॉ. अनिल अग्रवाल, यूएनएफपीए के स्टेट हेड श्री दीपेश गुप्ता ने भी सम्बोधित किया। दो दिवसीय कार्यशाला में 105 लक्ष्य कार्यक्रम संचालित करने वाले चिकित्सा केन्द्रों के चिकित्साधिकारियों ने भाग लिया।
इन 21 संस्थानों को किया पुरस्कृत:- जोधपुर के उम्मेद चिकित्सालय को 12 लाख रुपए, जयपुर के जनाना हॉस्पिटल, अलवर के जिला चिकित्सालय, बांसवाडा, बाडमेर व सिरोही के जिला अस्पताल तथा सवाईमाधोपुर के जनरल हॉस्पिटल को 6-6 लाख के पुरस्कार प्रदान किए गए। सोचत के जिला अस्पताल व शाहपुरा-भीलवाडा के सैटेलाइट अस्पताल सहित पाली की सादरी, राजसमन्द की देवगढ़ और सीकर जिले के श्रीमाधोपुर सीएचसी को 4-4 लाख के तथा चुरु के डी.बी चिकित्सालय एवं जैसलमेर के जवाहर चिकित्सालय को 3 लाख के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। नोहर-हनुमानगढ़, बानसुर-अलवर, बायतु-बाड़मेर, मनिया-धौलपुर, टोडाभीम-करौली, पीपलखुट-प्रतापगढ और उदयपुर जिले की खेरवाड़ा सीएचसी को 2-2 लाख के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।