समाजसेवी अशोक पाठक की पहल पर मन्दिर माफी की जमीन पर ए॰सी॰एम॰ न्यायालय ने प्रदान की स्थाई निषेधाज्ञा
न्यायालय सहायक कलेक्टर ने स्थाई निषेधाज्ञा से पाबंद किया
करौली – करौली के भाजपा नेता अशोक पाठक की पहल पर मंदिर माफी की जमीन को राजस्व रिकॉर्ड में यथावत रखने के न्यायालय सहायक कलेक्टर ने स्थाई निषेधाज्ञा से पाबंद किया।
भाजपा नेता सामाजिक कार्यकर्ता अशोक पाठक ने मंदिर माफी की जमीनों को खुर्दबुर्द करने वाले व रिकॉर्ड में हेराफेरी करने के मामलों को लेकर न्यायालय सहायक कलेक्टर के यहां परिवाद लगाया जिसमें पाठक ने खुलासा करते हुए बताया कि मंदिर ठाकुर जी प्रताप शिरोमणि कि खातेदारी की भूमि खसरा नंबर 786, 789 700, 90, 791, 806, 807, 808, 809 आदि खसरा नंबरों की कुल करीब 20 बीघा भूमि ससेड़ी गांव मैं स्थित है। उन्होंने खुलासा करते हुए बताया कि जिस मंदिर माफी की जमीन को सेटलमेंट विभाग को बगैर किसी ‘सक्षम न्यायालय के आदेश के राजस्व रिकॉर्ड जमाबंदी में खातेदारी काश्तकारी इंद्राज बदलने का कोई अधिकार नहीं है लेकिन यहां सेटलमेंट विभाग द्वारा मंदिर माफी की जमीनों की खातेदारी बिना किसी अधिकार के सायल ठाकुर जी के स्थान पर अब्दुल हमीद पुत्र अब्दुल रजाक निवासी करौली के नाम राजस्व रिकॉर्ड में इंद्राज कर दिया और इसी इंद्राज के आधार पर अब्दुल हमीद के वारिसान के नाम राजस्व कर्मियों से मिलीभगत कर इंद्राज करा लिया जबकि ठाकुर जी शास्वत नाबालिक है और नाबालिक के खातेदारी को किसी भी सूरत में किसी व्यक्ति के नाम नहीं किया जा सकता है
लेकिन यहां तो नियम कानून को अनदेखी करते हुए राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारियों द्वारा लालच में आकर मंदिर माफी की जमीनों को भी उल्टा सीधा कर दिया जाता है। जिस मामले को न्यायालय सहायक कलेक्टर ने गंभीरता से लेते हुए उक्त जमीन पर अंतरिम अस्थाई निषेधाज्ञा सेवा बंद करते हुए हल्का पटवारी को पाबंद किया गया है कि भूमि को खुर्दबुर्द ना करें तथा मौके पर राजस्व रिकॉर्ड की स्थिति यथावत बनाए रखें।
गौरतलब यह कि यहां ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं जिला मुख्यालय स्थित शहर में स्थित मंदिरों की भूमि पर भू माफिया निडर होकर कब्जा जमाए हुए है और उन पर अवैध रूप से निर्माण भी कर लिए है। यही नहीं राजस्व रिकॉर्ड में भी राजस्व कर्मियों द्वारा हेराफेरी कर दी गई है जिन के मामले में पूर्व में राजस्व विभाग के अधिकारियों को खूब शिकायत भी लोगों द्वारा की गई लेकिन राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी शिकायतों को दबा कर बैठ गए और मंदिर माफी की भूमियों पर हो रहे कब्जा, अवैध निर्माण के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहे है।