भारतीय किसान यूनियन (भानु) के बैनर तले आन्दोलन के तीसरे दिन भी तहसील मुख्यालय बारा पर जंग जारी
प्रयागराज। जनपद के यमुनानगर में बारा तहसील थाना शंकरगढ क्षेत्र अंतर्गत 952 हेक्टेयर करीब 4000 बीघे का जंगल है । जिसे भारत रत्न पुरूषोत्तम दास टंडन का नाम दिया गया है इसे ग्रामीण जन टंडन वन कहते हैं। अकौरिया, सोनबरसा, श्रीनगर बंधवा, लोहगरा, ओसा, पूरे गगाछ, जूही कल्याणपुर बसहरा उपरहार आदि गांवों के मध्य 4000 बीघा में फैला ए जंगल कभी जंगली वृक्षों के साथ-साथ फलदार वृक्षों का घना जंगल हुआ करता था परंतु आज यह जंगल भ्रष्टाचार और अत्याचार की भेट चढ़ गया है। माफियाओं ने हजारों बीघे के फलदार वृक्षों आंवला, नींबू जामुन आदि वृक्षों को काटकर खेती करने लगे तथा जंगल में पत्थर तोड़कर खदानें बना दी । वन विभाग के अधिकारी इस कदर मौन रहे की आंख कान नाक इस तरह बंद कर लिए की ना तो कटता हुआ जंगल ना तो जलता हुआ जंगल और ना उस पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग ही उन्हें दिखाई दे रही बस दिखाई दिया तो वसूली कर अपने परिवार को कैश और आराम कराना । प्रकृति को बर्बाद कर परिवार पालने की प्रक्रिया वन विभाग की मिलीभगत से माफियाओं ने शुरू की और इसमें बखूबी साथ दिया तहसील प्रशासन बारा और प्रयागराज प्रशासन के अधिकारियों ने । माफियाओं, अधिकारियों व प्रसाधन ने वन विभाग की जमीन की नौवत ही बदल दी और माफियाओं के नाम वन विभाग की जमीन ही सुपुर्द कर दी । वन विभाग की जमीन पर कमीशन लेकर घर और बिल्डिंग बना दी गयी । प्रत्येक गर्मी में भ्रष्टाचार छुपाने के लिए वन विभाग द्वारा आग लगायी जाती रहती है।
भारतीय किसान यूनियन भानू लगभग डेढ़ वर्षो से प्रकृति को बचाने की लड़ाई लगातार लड़ रहा है लेकिन माफियाओं और अधिकारियों में कोई अंतर नहीं रहा एक में तो उजाड़ने की परमिशन दी है तो दूसरा पेड़ों को काटकर उजाड़ कर चंद पैसे अधिकारियों तक पहुंच कर 10 हजार से अधिक बड़े-बड़े पेड़ों को काट कर खेती कर रहे ।लेकिन तमाम कोशिशें और आंदोलन के बावजूदअधिकारियों के कान में जूं तक नहीं रेगी अधिकारी धृतराष्ट्र और मूक, वधीर बने माफियाओं को खुली छूट दे पूरे जंगल की दुर्दशा कर डाली। सरकार और अधिकारी पर्यावरण दिवस में करोड़ों खर्च और वन दिवस में करोड़ों खर्च कर रहे हैं । भारतीय किसान यूनियन भानु के द्वारा किसानों मजदूरों गरीबों के सहयोग और शपथ के साथ चल रही है कि जब तक टंडन वन को माफियाओं से मुक्त कराकर उस पर वृक्षारोपण नहीं कर दिया जाएगा तब तक आंदोलन नहीं रुकेगा। देश, क्षेत्र और समाज के संभ्रांत व्यक्तियों पर्यावरण प्रेमियों प्रकृति प्रेमियों एवं समाज के प्रति चिंतित लोगों काआवाहन करता हूं इस लड़ाई में हम लोगों का सहयोग करें जिससे आने वाली पीढ़ी कम से कम शुद्ध हवा और शुद्ध पानी पा सके । यह महज एक आंदोलन नहीं है यह लड़ाई जनजीवन और समाज को बचाने की लड़ाई है इस लड़ाई में अपना सहयोग दें और आज वन महोत्सव पर संकल्प लें की प्रकृति को और वनों की रक्षा के लिए जीवन में जब भी जैसे भी जरूरत पड़ेगी संघर्ष करेंगे।
R. D. Diwedi