आईसीएआई की एथिकल स्टैण्डर्ड बोर्ड के तत्वाधान में भीलवाडा शाखा द्वारा बैंक ऑडिट पर एक दिवसीय सेमिनार आयोजित

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देश की अर्थव्यस्था मे एक स्तम्भ बैंक प्रणाली होती हैं: सीए अनुज गोयल

भीलवाड़ा। (पंकज पोरवाल) दी इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की एथिकल स्टैण्डर्ड बोर्ड के तत्वाधान में भीलवाडा शाखा द्वारा 20 मार्च को पटेल नगर स्थित आईसीएआई भवन पर बैंक ब्रांच ऑडिट पर एक दिवसीय सेमीनार का आयोजन किया गया। शाखा अध्यक्ष सीए सोनेश काबरा ने बताया की कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईसीएआई की एथिकल स्टैण्डर्ड बोर्ड के अध्यक्ष सीए अनुज गोयल थे। काबरा ने बताया कि देश की अर्थव्यस्था तीन स्तंभों पर खड़ी हैं जिसमे एक स्तम्भ बैंक प्रणाली होती हैं। सभी बैंकों की ऑडिट की कार्यवाही चार्टर्ड एकाउंटेंट्स द्वारा करी जाती हैं जिसमे सीए साल भर में किये गए सभी ब्योरों की जाँच करते हैं। इसी के प्रशिक्षण हेतु इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन तीन सत्रों में आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि आईसीएआई के एथिकल स्टैण्डर्ड बोर्ड के चेयरमैन व सीसीएम सीए अनुज गोयल ने बताया कि सीए इंस्टीट्यूट ने अपने मेंबर्स के लिए एक नया पोर्टल सीए कनेक्ट शुरू किया है, जिस में इंडिया के सभी सीए की सही इनफार्मेशन और प्रोफाइल ऑनलाइन मिल पाएगी। साथ ही कोई भी आम जनता जो किसी भी सीए सर्विसेज को प्राप्त करना चाहती है, इस पोर्टल पर जाकर उस सीए से कनेक्ट कर सकती है। साथ साथ उन्होने ये भी बताया की आइसीएआइ का स्किल डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा सीए मेंबर्स की छुपी हुई प्रतिभाओं को बाहर लाने के लिए कई कदम उठाये जा रहे हैं, जिनमे वर्कशॉप द्वारा ट्रेनिंग दी जाएगी तथा देश में उन प्रतिभाओं का सम्मान किया जायेगा। प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता सूरत से पधारे सीए रोहित पोरवाल ने बैंक शाखा के ऑडिटर द्वारा आवश्यक विभिन्न रिपोर्टों और प्रमाणपत्रों के बारे में विस्तार से बताया विशेष रूप से लॉन्ग-फॉर्म ऑडिट रिपोर्ट पर ध्यान केंद्रित किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने बड़े कॉर्पोरेट एडवांसेज और रिटेल लोन के सत्यापन से संबंधित संशोधनों और वेरिफिकेशन आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने उन क्षेत्रों की पहचान की जहाँ बैंक शाखा लेखा परीक्षा में राजस्व नुक्सान की संभावना है। अपनी चर्चा के दौरान, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऑडिटर को लॉन्ग फॉर्म ऑडिट रिपोर्ट और अन्य ऑडिटर रिपोर्ट तैयार करते समय, ऑडिटिंग के मानकों के अनुसार, भौतिक गलत बयानी के जोखिम को कम करने के लिए सटीकता बनाए रखनी चाहिए। सत्र की अध्यक्षता सीए महावीर गांधी ने की। द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता मुंबई से पधारे सीए पंकज तिवाड़ी ने बताया कि बैंकिंग उद्योग के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक यानी आय पहचान और संपत्ति वर्गीकरण (आईआरएसी) मानदंड और वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए प्रासंगिक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी अन्य परिपत्रोंध्निर्देशों से संबंधित हालिया नियामक परिवर्तनों पर चर्चा की। अपनी बातचीत के दौरान, उन्होंने अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा एनपीए पहचान और प्रावधान के स्वचालन के बाद उत्पन्न होने वाले विभिन्न व्यावहारिक मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने उन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर भी प्रकाश डाला, जिन्हें बैंक शाखा ऑडिट करने वाले सीए द्वारा खातों को सत्यापित करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बैंकों द्वारा आईआरएसी मानदंडों के अनुसार एडवांसेज को सही ढंग से वर्गीकृत किया गया है। उन्होंने अपने वार्षिक निरीक्षण के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा पहचाने गए विभिन्न मुद्दों पर भी सदस्यों से चर्चा की और उनका मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम मे शाखा सदस्य सीए नवीन काखानी, कैलाश चन्द्र बाहेती, दिनेश जैन, नवीन वागरेचा, पिरेश जैन, हेमंत छाजेड, दलीप गोयल, राघव राठी, पुलकित पोरवाल, एसएन लाठी, मनोज सोनी, मधु मालानी, सीमा तोषनीवाल, गरिमा जेथलिया सहित लगभग 100 से अधिक सीए सदस्य एवं सीए विद्यार्थी उपस्थित थे।


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