काव्य गोष्ठी का आयोजन

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काव्य गोष्ठी का आयोजन

कामां। अखिल भारतीय साहित्य परिषद इकाई कामां के तत्वावधान में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
आयोजक कवि पंकज पाराशर प्रखर ने बताया कि गोष्ठी का शुभारम्भ रामकिशन दुश्मन की सरस्वती वंदना जय जय मां शारदे के साथ हुआ। कमल सिंह कमल ने दुल्हन सी सज रही अयोध्या मंगल कलश सजाए है। तथा शिवराम बादीपुरिया ने ब्रजभूमि लगै मोहै प्यारी जाकी महिमा लागत न्यारी प्रस्तुत कर सभी को आध्यात्मिक रंग में रंग दिया। कवि मोहन श्याम पाराशर ने गांधी बाबा देखने आना गांधी बाबा देखने आना गीत प्रस्तुत कर वर्तमान विसंगतियों पर तंज कसा वहीं नवोदित कवि राहुल खंडेलवाल ने याद आते हैं छज्जूराम। तथा डी के जैन मित्तल ने रुचि रही साहित्य में अलग ही था अंदाज पंक्तियों के माध्यम से भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। रेवती प्रसाद जांगिड़ ने देश हित देशभक्त गेह नेह त्याग देत। तथा गोविंद बृजवासी ने नियम जगत का ये जाने जमाना एक दिन तुझको हे प्राणी है जाना। गीत के द्वारा गोष्ठी को ऊंचाइयां प्रदान कीं। वरिष्ठ साहित्यकार रामकिशन दुश्मन ने राम जन्मभूमि मंदिर के पीले चावल आए सुनाकर राम मंदिर निर्माण की सराहना की साथ ही दुलीचंद लोधा ने चंदन सी शीतलता थी और मिश्री सा व्यवहार छंद के माध्यम से शब्द सुमन अर्पित किए। पार्षद किशोर तिवारी ने क्या सुंदर व्यवहार देखते ही बनता था। तथा श्याम साहू एटम बम द्वारा चमन के बागियों का पीर कोई मीर बाकी है सशक्त मुक्तक सुनाकर ओजस्वी विचार व्यक्त किए गए। कवि डा.भगवान मकरंद ने कवि चाहे गूंगे हो जाएं पर कविता नहीं मरती है सुनाकर खूब वाहवाही लूटी तथा संस्था अध्यक्ष हेमेंद्र भारतीय ने बहुत समय संघर्ष किया तब ही ये शुभ दिन आया है पंक्तियों द्वारा शानदार प्रस्तुति दी गई। अंत में आयोजक पंकज प्रखर द्वारा ष्जब तक बुजुर्गों का साया रहेगा नफा जिंदगी में सवाया रहेगा मुक्तक सुनाकर समस्त कवियों का आभार व्यक्त किया।


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