दो महीने से शंकरगढ़ की कोर्ट न चलने से अधिवक्ताओं में आक्रोश


बारा (प्रयागराज) बारा तहसील बार एसोशिएशन के अधिवक्ताओं ने पिछले दो महीने से नायब तहसीलदार शंकरगढ़ कोर्ट में न बैठने से पत्रावलियों का निस्तारण न होने से गहरा आक्रोश जताया है। बार एसोशिएशन के अधिवक्ताओं ने बताया कि नायब तहसीलदार शंकरगढ़ लगभग 5 वर्षों से अंगद की तरह पांव जमाए बारा तहसील में पदारूढ़ हैं। यही कारण है कि अब उनके तानाशाही रवैए से समय पर पत्रावलियों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। जबकि बारा तहसील के अधिवक्ताओं द्वारा एसडीएम बारा से भी शिकायत की जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं हुई,जिससे नायब तहसीलदार के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। बताया गया कि धारा 34 व 35 नामांतरण वाद की निर्धारित तिथि व्यतीत हो जाने के बाद भी नामांतरण आदेश पारित नहीं किए गए हैं। पत्रावलियों को आदेश में सुरक्षित तो कर ली जाती है, किन्तु दो महीने तक आदेश पारित नहीं किए जाते। ख़तौनियों में भी आदेशों का अमलदरामद भी समय से नहीं हो पा रहा है, और न ही डिजिटल हो रहा है। अधिवक्ताओं ने एसडीएम बारा से शिकायत करते हुए कहा कि नायब तहसीलदार शंकरगढ़ द्वारा सुरक्षित की गई पत्रावलियों में यथाशीघ्र आदेश पारित करवाने का निर्देश जारी करें। बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द ही सभी पत्रावलियों का निस्तारण समय से नहीं किया जाएगा तो हम लोग पूर्णतया कोर्ट का बहिष्कार करेंगे, जिसकी सारी जिम्मेदारी एसडीएम बारा की होगी। इस दौरान तहसील अध्यक्ष के अलावा तहसील मंत्री बृजेश कुमार श्रीवास्तव, श्रीचन्द केसरवानी, प्रेमचन्द यादव, साहिल कुमार द्विवेदी, संदीप तिवारी, मुकेश मिश्रा, सुशील कुमार मिश्रा सहित कई अधिवक्ता मौजूद रहे।


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