पीपीजीसीएल बारा शंकरगढ़ कंपनी से राखड़ भरकर फर्राटा भर रहे ओवरलोड भारी वाहन

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आए दिन हो रहे हादसे धूल मिट्टी फांक रहे राहगीर बढ़ते वायु प्रदूषण से खत्म हो रही पेड़ पौधों की हरियाली

प्रयागराज। जहां एक और पूरे विश्व में पर्यावरण संरक्षण के लिए कई ठोस कदम अपनाए जा रहे हैं वहीं जनपद के यमुनानगर बारा क्षेत्र अंतर्गत स्थित पीपीजीसीएल कंपनी के बढ़ते हुए वायु प्रदूषण से पर्यावरण का दोहन किया जा रहा है। सड़कों पर उड़ती धूल कण एवं प्रदूषण की मार से झेल रहे पेड़ पौधों तक की स्थिति बद से बदतर हो रही है। कंपनी से निकलने वाले राखड़ के डस्ट से ट्रांसपोर्टिंग के कारण पेड़ पौधों की हरियाली खत्म हो गई है। यह अनफिट भारी वाहन सड़कों की दशा खराब कर रहे हैं। हल्की बरसात होने से रोड के किनारे उड़ कर जमा हुए डस्ट से कीचड़ बनता है और फिसलन होती है जिससे राहगीर चोटिल हो जाते हैं।पावर प्लांट के जिम्मेदार अधिकारी एयर कंडीशन में आंख मूंदकर बैठे रहते हैं और सड़क पर हो रहे हादसे धूल मिट्टी फांक रहे राहगीर।सड़क पर पानी का भी नहीं किया जाता छिड़काव धूल के गुब्बार बनाकर उल्टे उड़ते हैं राखड़ रोड में राहगीरों के आंखों में छा जाता है अंधेरा जिससे रोड पर आए दिन होता है हादसा।क्षेत्र में राखड़ के प्रदूषण की वजह से तमाम तरह के बीमारियों से लोग हो रहे हैं ग्रसित ,लगातार बढ़ रही है आंखों की बीमारी।कई बार स्थानीय लोगों ने जिम्मेदारों को इस समस्या से अवगत भी कराया लेकिन अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।मनबढ़ होते जा रहे हैं ठेकेदार बिना फिटनेस के ही राखड़ परिवहन कर रहे है भारी वाहन।इस संबंध में जब ठेकेदारों से या अधिकारियों से बात की जाती है तो कहते हैं बंद कर दिया गया है राखड़ का परिवहन।लेकिन तस्वीरें झूठ नहीं बोलती तस्वीरें बयां कर रही है कि सुबह-शाम फर्राटा भरते नजर आते हैं राखड़ के भारी वाहन। क्षेत्रवासियों ने जानकारी देते हुए कहा कि जल्द ही एनजीटी और मुख्यमंत्री पोर्टल पर इसकी शिकायत की जाएगी।ठेकेदार जब चाहे जहां चाहे मन माने ढंग से गिरवा देते हैं राखड़ क्षेत्र में फैला रहे हैं लगातार वायु प्रदूषण।डेवलपमेंट के नाम पर कंपनी द्वारा हवा में जहर परोसा जा रहा है।लोगों का जीवन कर रहे प्रभावित किसानों को भी नहीं दिया जा रहा कोई लाभ। अब देखने वाली बात यह होगी कि पीपीजीसीएल के बढ़ते राखड़ व डस्ट के वायु प्रदूषण से संबंधित विभाग संज्ञान में लेता है अथवा ऐसे ही उदासीनता का रवैया अपनाया जाता रहेगा और लोग बीमारी के शिकार होते रहेंगे।


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