बयाना के स्टेट हाइवे पर यमदूत बने दौड रहे अवैध खनन सामग्री से भरे ओवरलोेड वाहन, संबंधित विभाग बने मूकदर्शक

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बयाना के स्टेट हाइवे पर यमदूत बने दौड रहे अवैध खनन सामग्री से भरे ओवरलोेड वाहन, संबंधित विभाग बने मूकदर्शक

बयाना 06 जुलाई। बयाना के स्टेट हाइवे पर अवैध खनन सामग्री से ओवरलोड भरे ट्रक व टैªक्टर ट्राॅली बेखौफ होकर यमदूत बने सरपट दौडते देखे जा रहे है। जिनसे आए दिन दुर्घटनाऐं होने व सडक सुरक्षा नियमों व पर्यावरण संरक्षण कानून और अवैध खनन निरोधक कानून का उल्लंघन किए जाने के बावजूद परिवहन व खनिज विभाग एवं वनविभाग सहित तमाम विभाग मूकदर्शक बने मौन साधे बैठे है। जिससे अवैध कारोबार व अवैध परिवहन से जुडे इन लोगोें के हौंसले बुलंद है। नागरिकों की माने तो बयाना के बीचों बीच होकर निकल रहे स्टेट हाइवे से होकर रोजाना सैंकडो की संख्या में ट्रक व ट्रैलर एवं ट्रैक्टर ट्राॅलीयों क्षमता से कई गुना अधिक खनन सामग्री भरकर निकलते है। जिनसे आए दिन सडक दुर्घटना होने के साथ ही स्टेट हाइवे पर कई कई घंटे तक जाम भी लग जाते है। ताज्जूब की बात तो यह है कि अवैध खनन सामग्री से ओवरलोड भरे यह ट्रैक्टर ट्राॅली केवल कृषि उपयोग के लिए पंजीकृत है। जिन पर नम्बर प्लेट तक नही होते है और इनका खुलेआम व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है। सडक सुरक्षा नियमों का यह उल्लंघन ना तो परिवहन विभाग के अधिकारीयों को नजर आता है और ना ही पुलिस व प्रशासन के अधिकारीयों को नजर आता है। यह सभी वाहन हिण्डौन बयाना व बसेडी बयाना व रूपवास बयाना स्टेट हाइवे पर दौडते नजर आते है और प्रत्येक स्टेट हाइवे पर आधा दर्जन से अधिक पुलिस थाने व चोकीयां एवं वनविभाग के रेंजर कार्यालय व चौकिया एवं प्रशासनिक अधिकारीयों के कार्यालय भी स्थित है। इसके अलावा इन स्टेट हाइवेज पर दर्जनों से अधिक प्रमुख शिक्षण संस्थान व सरकारी एवं गैरसरकारी अस्पताल आदि भी है। जिनकी वजह से वहां पैदल लोगों की भीडभाड भी अकसर बनी रहती है। परिवहन विभाग की चुप्पी और नाकामी को लेकर लोगो में अब तरह तरह की चर्चाऐं होने लगी है। चर्चाऐं यह भी है कि यह ओवरलोड वाहन परिवहन विभाग के अधिकारीयों व कथित दलालों की अतिरिक्त कमाई के जरिया बने हुए है। वहीं सरकार को प्रतिमाह करोडों रूप्ए का चूना लगाया जा रहा है। और एनजीटी के नियमोें व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुलेआम ध्ज्जियां भी उडाई जा रही है। अब लोगों को इंतजार इस बात है कि इस खबर के बाद किस विभाग के अधिकारीयों की नींद खुलती है और वह सरकार व जनता के प्रति क्या जबाबदेही निभाते है और अपने कर्तव्यों का कितना पालन करते है।
प्रशासन भले ही अवैध खनन पर रोक लगाने का दावा करे, लेकिन खनन माफियाओं पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। पहले ग्रामीणों का कहना था की रात में खनन होता है लेकिन अब ग्रामीणों का कहना है कि दिन में भी खनन हो रहा है। पूरे दिन सड़कों पर अवैध खनन की खनिज सामग्री से भरे ट्रैक्टर ट्राली व ट्रेलर देखे जा सकते हैं।

बंध बरेठा व बंसी पहाड़पुर क्षेत्र में अवैध खनन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। खनन माफिया छोटे बड़े वाहनों का प्रयोग कर रहे हैं, तेज गति से यह वाहन सड़कों पर दौड़ते देखे जा सकते हैं। जिससे आए दिन कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है और कुछ दिन पहले भी एक सरकारी शिक्षक की अवैध खनन से भरे डंपर की टक्कर से मौत हो चुकी है। लेकिन उसके बाद भी पुलिस प्रशासन की ओर से अवैध खनन से भरे ओवरलोड वाहनों के प्रति कोई कार्यवाही नहीं की गई है। जिन्हें लेकर भी लोगों में तरह-तरह की चर्चाएं हैं। वहीं अवैध खनन के खिलाफ खनिज विभाग व वन विभाग चुप्पी साधे हुए हैं। भारतीय किसान यूनियन अंबावता के राष्ट्रीय महासचिव सुरेंद्र कंसाना ने बताया कि वैध खनन पट्टों की आड़ में सैकड़ों अवैध खाने चल रही हैं। और परिवहन विभाग से 32 टन से पासिंग गाड़ियों में 80 से 90 टन तक पत्थर के बड़े बड़े शिलाखंडों का परिवहन किया जा रहा है। जो रोजाना पुलिस थाने व वन विभाग ऑफिस के सामने होकर ही निकलते हैं। वहीं उन्होंने बताया कि जब रॉयल्टी का ठेका नहीं होता है तब पुलिस अवैध खनन के खिलाफ कार्यवाही करती है लेकिन जब रॉयल्टी ठेकेदार के द्वारा ठेका ले लिया जाता है तब सभी संबंधित विभाग चुप्पी साधे बैठ जाते हैं। और अगर कोई वाहन चालक रॉयल्टी ठेकेदार को पैसे नहीं देता है तो उसके खिलाफ खनिज विभाग व पुलिस से कार्यवाही करवा दी जाती है


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