बौंली। परशुराम जयंती प्रतिवर्ष वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती हैं। इसी दिन अक्षय तृतीया का पर्व भी मनाया जाता हैं । तृतीया तिथि का प्रारंभ 29 अप्रैल को सायंकाल में 5 बजकर 34 मिनट से होगा और समापन 30 अप्रैल बुधवार को दोपहर 2 बजकर 15 मिनट होगा। आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि प्रदोष काल में भगवान परशुराम का जन्म हुआ था, इस वजह से परशुराम जयंती 29 अप्रैल मंगलवार को मनाई जाएगी । इस दिन सौभाग्य योग और शोभन योग के साथ त्रिपुष्कर योग का संयोग बन रहा हैं। त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान परशुराम की पूजा करते हैं तो देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। 29 अप्रैल मंगलवार को भगवान परशुराम की पूजा करने का समय दोपहर बाद 3:36 से 5:15 तक इसके बाद रात्रि में 8: 15 मिनट से 9:36 तक हैं। आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि परशुराम भगवान की पूजा में सबसे पहले भगवान परशुराम की मूर्ति या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें । गंगाजल से मूर्ति या तस्वीर को शुद्ध करें । दीपक और धूप जलाएं । भगवान को पुष्प,अक्षत,चंदन, कुमकुम और नैवेद्य अर्पित करें । इसके बाद भगवान परशुराम जी के मंत्रों का जाप करने के बाद आरती करके प्रसाद का वितरण करें।


1996 से लगातार पत्रकारिता कर रहे हैं। 1996 से दैनिक भास्कर में बौंली, बामनवास एवं सन 2000 में दैनिक भास्कर ब्यूरो चीफ गंगापुर सिटी। 2003 से पंजाब केसरी और वर्तमान में राष्ट्रदूत। अनेकों चैनल व अखबारों में कार्यरत हैं। आवाज आपकी न्यूज पोर्टल में पत्रकार हैं।