जयपुर 21 नवम्बर। कहावत है चुप रहोगे तो गुलाम बना दिए जाओगे, आवाज उठाओगे तो भगत सिंह कहलायेंगे। छोड़ दो यह सपना कोई मदद करने आयेगा, हम सभी में है वह जज्बा खुद को साबित करके दिखाएंगे। आज प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था हो या देश की शिक्षा व्यवस्था हो दोनों ही स्तर पर ना केवल बदहाल है बल्कि निजी स्कूलों की मनमानी का शिकार हुए बैठी है।
जिस पर सरकारें अपनी लाचारी का प्रदर्शन दिन प्रतिदिन बढ़ाती जा रही है और प्रशासन मौन रहकर अपनी लापरवाही का प्रदर्शन प्रतिदिन कर रहे है इन सबके चलते शिक्षा व्यवस्था सुधारने की बजाय लगातार बिगड़ रही है और इन सबके दोषी निजी स्कूल संचालक, सरकार और प्रशासन ही नहीं बल्कि हम अभिभावक भी है जो लगातार चुप रहकर इनकी मनमानियों का शिकार होकर मजबूरियों का प्रदर्शन कर खुद को लगातार शर्मिंदा करवाते आ रहे है।
संयुक्त अभिभावक संघ के अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि निजी स्कूलों की फीस निर्धारण को लेकर जहां राज्य सरकार ने फीस एक्ट कानून लागू किया हुआ है जिसे राजस्थान हाईकोर्ट और देश की सर्वाेच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने भी लागू करने के निर्देश दिए हुए है। अदालती आदेश बावजूद पिछले 3 वर्षों से इसकी पालना सुनिश्चित नहीं हो रही है जो सरकार और प्रशासन की नाकामियों का उदाहरण है और निजी स्कूल संचालकों की ताकत का प्रदर्शन है जो सरकार और प्रशासन को कठपुतली की तरह नचा रही है।
संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि विगत 5 वर्षों का अनुभव बतलाता है कि अभिभावक ही निजी स्कूल संचालकों को मनमानी करने के उकसाते है, हर अभिभावक एक जैसे नहीं होते किंतु कुछ अभिभावक अपनी ताकत का नाजायज प्रदर्शन करते है जिसकी चपेट में सारे अभिभावक आ जाते है। प्रत्येक अभिभावक को अपनी जिम्मेदारियों का अहसास होना चाहिए उन्हें जिम्मेदारियों को उठाना चाहिए, अगर अच्छी शिक्षा और सस्ती शिक्षा चाहिए तो आगे आकर आवाज उठानी चाहिए तभी यह संभव होगा, अगर अभिभावक जिम्मेदारियां नहीं उठाएगा तो प्रत्येक बच्चा लापरवाही करने की शिक्षा ही ग्रहण करेगा। क्योंकि बच्चों को प्रथम शिक्षा अभिभावकों से ही शुरू होती है, स्कूल संचालक तो केवल डिग्रियां बांटने वाली शिक्षा देते है संस्कारों की शिक्षा घरों से ही मिलती है। अभिभावकों को दूसरों के घरों में भगत सिंह ना खोजकर स्वयं को भगत सिंह बनाना होगा, तभी जाकर निजी स्कूलों की मनमानियों पर रोक लगवाई जा सकती है।