शाहपुरा में शिक्षा विभाग की अजीबोगरीब दास्तान

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शाहपुरा में शिक्षा विभाग की अजीबोगरीब दास्तान
एसएमसी की असहमति के बाद भी हिन्दी माध्यम के स्कूल को अंग्रेजी में बदला
प्रवेशोत्सव पखवाड़े में अब तक एक भी नामाकंन नहीं हो सका है

शाहपुरा के शिक्षा विभाग में अंधेरगर्दी के चलते राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की एसएमसी की असहमति के बाद भी महात्मा गांधी विद्यालय अंग्रेजी माध्यम में बदल दिया। इस कारण प्रवेशोत्सव में अब तक एक भी नामाकंन नहीं हो सका है। स्कूल परिक्षेत्र में रहने वाले सभी विद्यार्थी घुमंतु, कच्ची बस्ती व पिछड़ी बस्तियों के निवासी होने के कारण एक भी अभिभावक अंग्रेजी माध्यम में प्रवेश नहीं लेने को तैयार है। एसएमसी के साथ ही विद्यालय की ओर से भी मुख्य ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी को वास्तविकता से अवगत कराने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस बीच एसएमसी ने राजस्थान उच्च न्यायालय की शरण ली जहां से शिक्षा विभाग अंग्रेजी माध्यम में बदले जाने पर स्थगन देने के बाद भी अब तक कोर्ट आदेश की पालना नहीं की है जबकि पालना रिपोर्ट देने की अंतिम दिनांक आज थी।


राज्य सरकार द्वारा शाहपुरा की चार स्कूलों को महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय अंग्रेजी माध्यम में किया जाना था, इसके लिए प्रस्ताव मांगे गये। इस पर नोडल प्रधानाचार्य ने बिना स्कूल एवं एसएमसी की सहमति के प्रस्ताव सीबीईओ कार्यालय भेज दिया, वहां से भी विभाग को भेज दिया। दोनो अधिकारियों ने अपनी अभिशंसा में भौतिक रूप से निरीक्षण बाद अभिशंसा करना बताया जबकि मौके पर दोनो नहीं पहुंचे। ये प्रस्ताव 31 मई को शाहपुरा से रवाना कर दिया गया। एसएमसी व विद्यालय को इसकी सूचना मिलने पर विरोध दर्ज कराया गया पर कोई सुनवाई नहीं हुई। उपखंड अधिकारी को ज्ञापन देकर एसएमसी सदस्यों ने इसे हिन्दी माध्यम में रखने का अनुरोध किया। कोई सुनवाई न होने पर एसएमसी अध्यक्ष उगमलाल माली व अन्य सदस्यों ने उच्च न्यायालय में रिट पेश की। इसकी सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने हिन्दी माध्यम में रखने के निर्देश देकर 15 जुलाई को पालना रिपोर्ट पेश करने को कहा। एसएमसी ने उच्च न्यायालय के आदेश सभी अधिकारियों को दे दिये फिर भी आज तक पालना रिपोर्ट पेश नहीं हो सकी है।
इस संवाददाता ने आज स्कूल का निरीक्षण किया तो हिन्दी माध्यम के 59 विद्यार्थी मिले। उनको बाकायदा हिन्दी माध्यम से ही पढ़ाया जा रहा था। उनको पोषाहार तक खिलाया गया। बच्चे भी हिन्दी से अंग्रेजी माध्यम में जाने को तैयार नहीं है। विद्यालय का स्टाफ आफीशियत हिन्दी माध्यम में प्रवेश दे नहीं सकते है। प्रवेशोत्सव 17 जुलाई तक ही चलेगा तब जक एक भी प्रवेश नहीं हो सका तो शुन्य प्रवेश पर विद्यालय को तोड़ा या मर्ज किया जा सकता है। इस कारण एसएमसी व अभिभावकों की चिंता बढ़ती जा रही है। विद्यालय में 50 से ज्यादा प्रजातियों के पौधे लगा रखे है। प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस के मौके पर यहां रक्तदान शिविर लगाया जाता है। अब तक 1200 से ज्यादा रक्त यूनिट संग्रहित हो चुका है। सामाजिक सरोकारों से जुड़ा होने के बाद भी एसएमसी के प्रस्ताव को दरकिनार किया जाना न्यायोचित नहीं लग रहा है।


राउप्रावि कुंडगेट के प्रधानाध्यापक देबीलाल बैरवा ने कहा है कि जानबूझ कर हमारे विद्यालय को टार्गेट किया है। विद्यालय सामाजिक सरोकार से जुड़ा है तथा यह दूर बस्ती में है। इसके परिक्षेत्र में गरीब व घुमंतु परिवार होने के कारण आज दिनांक तक अंग्रेजी माध्यम में एक भी नामाकंन नहीं हो सका है। विद्यालय स्टाफ घर घर संपर्क कर चुका है। शाहपुरा के सीबीईओ कार्यालय से अनुरोध किया है इसे हिन्दी माध्यम में ही रखा जाए। सीबीईओ कार्यालय ने शिक्षा निदेशालय से मार्गदर्शन मांगा है। वहां से कोई प्रत्युत्तर नहीं आ रहा है।
एसएमसी के अध्यक्ष उगमलाल माली ने कहा कि हमारी सहमति के बिना हिन्दी से अंग्रेजी माध्यम में बदलना गलत है। माली ने कहा कि स्कूल परिक्षेत्र का एक भी बच्चा अंग्रेजी पढ़ने को तैयार नहीं है। हम सभी गरीब व घुमंतु परिवार है। सरकार को वापस हिन्दी माध्यम का स्कूल करना चाहिए। माली ने कहा कि हमारी असहमति के बाद हिन्दी से अंग्रेजी माध्यम बदलना अधिकारियों की मनमर्जी है। इससे सभी सदस्य व विद्यार्थी परेशान है। हिन्दी माध्यम में नहीं बदला तो कोर्ट की अवमानना का मामला करायेगें।
शाहपुरा के मुख्य ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी द्वारका प्रसाद जोशी ने बताया कि इस संबंध में 26 जुन 23 को ही भीलवाड़ा के मुख्य शिक्षा अधिकारी समग्र शिक्षा को प्रतिवेदन भिजवाया है जिसमें उच्च न्यायालय एवं एसएमसी की परिवेदना को भेज कर मागदर्शन मांग कर सक्षम स्तर से निस्तारण करने का अनुरोध किया गया है।

विधायक व पीसीसी मेंबर भी हिन्दी माध्यम में रखने के पक्ष में

शाहपुरा विधायक कैलाश मेघवाल ने शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला को पत्र लिखकर राउप्रावि कुंडगेट को हिन्दी माध्यम में ही यथावत रखने का अनुरोध किया है। विधायक ने अपने पत्र में लिखा है कि एसएमसी की असहमति के बावजूद सीबीईओ ने एसएमसी की सहमति बताकर अंग्रेजी माध्यम में स्थानांतरित कर दिया। विधायक मेघवाल ने कहा है कि पुनः हिन्दी माध्यम विद्यालय को बदलने को कहा है, ऐसा न होने पर वो मामले को विधानसभा के पटल पर रखेगें।
इसी प्रकार शाहपुरा से पीसीसी मेंबर संदीप जीनगर ने भी शिक्षामंत्री बीडी कल्ला को पत्र लिखकर कहा है कि शाला प्रबंध समिति ने विद्यालय को हिन्दी माध्यम में रखने का प्रस्ताव दिया पर त्रुटीवश इसे अग्रेजी में कर दिया गया है जो गलत है। इसे हिन्दी में परिवर्तित करते हुए शाहपुरा के अन्य किसी विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम की स्कूल में बदला जाए।
अब देखना यह है कि राज्य सरकार की कल्याणकारी नीतियों के तहत कुंडगेट स्कूल के विद्यार्थियों को हिन्दी माध्यम से अध्ययन की सुविधा मिलती है या शिक्षा विभाग की अजीबोगरीब स्थिति के चलते विद्यार्थियों को टीसी कटवाने पर मजबूर होना पड़ेगा।


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