मनरेगा में लोगों को नहीं मिल रहा काम दाने-दाने को मोहताज मजदूर


प्रयागराज। लाख दावों के बावजूद मनरेगा स्कीम भी मजदूरों को रोजगार देने में नाकाम साबित हो रही है। रोजगार के अभाव में गरीब तबके के लोग पलायन को मजबूर हैं। रोजगार की तलाश करने जा रहे मजदूरों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यहां बंद कमरों में होने वाली अधिकारियों की बैठकर नुमाइसी साबित हो रही है। चेहरे पर मायूसी और बिलखते बच्चों को देखकर यहां लोगों के मुंह से भी आह निकलती है। पठारी क्षेत्र होने से पानी की कमी के कारण सूखा की मार झेल रहे किसान और मजदूर रोजगार के अभाव में दिन गुजार रहे हैं। विकासखंड शंकरगढ़ के अंतर्गत 76 ग्राम पंचायतें आती हैं और लगभग 350 के ऊपर मजरे हैं। मगर रोजगार के अभाव में क्षेत्र के कई ग्रामों में घरों पर ताले लटकते नजर आने लगे हैं। मजदूर रोजगार के अभाव में यहां से अपने परिवार को साथ लेकर पलायन कर अन्य शहरों की ओर रोजगार की तलाश में जा रहे हैं। मजदूरों का कहना है कि पेट की खातिर उन्हें बाहर जाना पड़ रहा है। बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी लेकिन क्या करें मजबूरी है। गांव में रोजगार नहीं मिल रहा है जो गांव में लोग मौजूद हैं यदि प्रशासन ने रोजगार नहीं उपलब्ध कराया तो आने वाले समय में यह भी यहां से पलायन कर जाएंगे। गौरतलब है कि शासन की मंशा अनुसार मनरेगा के अंतर्गत ग्रामों में लोगों को 100 दिन का रोजगार मिलना चाहिए। लेकिन यह योजना केवल कागजों में सिमट कर रह गई है। हकीकत में कुछ भी नहीं किया जा रहा है जिस कारण मजदूर भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं यही वजह है कि ग्रामीणों को पलायन करना पड़ रहा है। वहीं ग्रामीण मजदूरों का कहना है कि रोजगार दिलाने के बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर कामकाज नहीं दिखाई दे रहा है। जिससे हम लोग रोजगार के अभाव में दाने-दाने को मोहताज बने हुए हैं।


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