कदमखंडी धाम में श्रीमद भागवत कथा को सुनने के लिए उमड़ रहा जनसैलाब
नदबई। नदबई के ऐचेरा ग्राम स्थित पावन स्थान श्री कदमखंडी धाम में अयोजित हो रही भागवत कथा के दूसरे दिन भगवान की आरती के साथ शुरू हुई द्वितीय दिवस की श्रीमद भागवत कथा में में हजारों की संख्या में महिलाएं और स्थानीय जनों ने भागीदारी की।
कथावचक देवी चित्रलेखा ने भागवत कथा में भगवान के 24 अवतारों आदि पुरुष, चार सनतकुमार, वराह, नारद, नर-नारायण, कपिल, दत्तात्रेय, याज्ञ, ऋषभ, पृथु, मत्स्य, कच्छप, धनवंतरी, मोहिनी, नृसिंह, हयग्रीव, वामन, परशुराम, व्यास, राम, बलराम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि का वर्णन किया। कलियुग के आरंभ में पांडवकुल भूषण राजा परीक्षित के तपस्यारत शमीक ऋषि के गले में सर्प डालने तथा ऋषि पुत्र के राजा को नाग द्वारा डसने संबंधी श्राप दिए जाने की कथा भी सुनाई। वहीं ऋषियों के परीक्षित को श्राप से मुक्ति दिलाने का उपाय का वर्णन करते हुए श्रीमद्भागवत कथा श्रवण को मुक्ति का सरल उपाय बताया।
कथा के दौरान देवी चित्रलेखा जी ने लोगों को गौ माता की रक्षा करने का मूल मंत्र दिया। युवाओं को प्रेरणा देते हुए उन्हें गौ माता की रक्षा करने के लिए आगे आने को कहा। इसी के साथ किसानों को खेती में विषैले उर्वरको की जगह गौ माता का स्वनिर्मित गोबर से बने खाद का उपयोग करने को कहा, ताकि खेतों में अच्छी फसल के साथ प्राकृतिक हो जिससे खाद्य पदार्थ मानव शरीर को रोग मुक्त कर सके। देवी चित्रलेखा ने कथा के दौरान गौ माता की दयनीय दशा की और ध्यान आकर्षित करते हुए लोगो से गौ माता के पालन का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि गौ माता बचेगी तो देश बचेगा।
देवी चित्रलेखा ने आगे के कथा प्रसंगों में हिरण्यकश्यप का वध व कथा, सती चरित्र, ध्रुव चरित्र, ध्रुव के वंश का निरूपण व खगोल विज्ञान का वर्णन आदि कथाओ का श्रवण कराते हुए पूज्य गौ माता की दुर्दशा के बारे में कहा कि गौ माता की स्थिति आज अत्यंत दयनीय हो चुकी है। हमें गौ माता के उसी दर्जे को जो द्वापर युग में भगवान कृष्ण के समय में था, वह स्थान दिलाने के लिए प्रयास करना चाहिए। श्री हरि संकीर्तन के साथ देवी चित्रलेखा ने द्वितीय दिवस की कथा को विश्राम दिया। उन्होंने बताया कि कथा के तीसरे दिन शुकदेव जी के आगमन, ध्रुव चरित्र, अजामिल एवं प्रह्लाद कथा का आयोजन होगा।
P. D. Sharma