PM मोदी ने कर्मचारी यूनियन को चर्चा के लिए बुलाया

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस बातचीत को लेकर कर्मचारियों में उत्साह

नई पेंशन स्कीम को लेकर हो रहे विरोध और कर्मचारियों में असंतोष तथा पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने की मांग को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में इस बार इस पर कुछ नया होने की उम्मीद जगी है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने जेसीएमके स्टाफ साइट के सचिव ऑल इंडिया रेलवे में फेडरेशन के महामंत्री कांग्रेस शिव गोपाल मिश्रा को पत्र भेजकर शनिवार को पीएम मोदी के साथ इस पर चर्चा के लिए आमंत्रित किया है।
हाल ही में संसद में पेश बजट के दौरान केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इसमें सुधार की बात कही थी। अब प्रधानमंत्री के साथ इस बैठक से कुछ बड़ा ऐलान होने की संभावना बढ़ गई है।

ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के सहायक महामंत्री मुकेश गालव ने बताया कि24 अगस्त को स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद के प्रतिनिधियों से प्रधानमंत्री बातचीत करेंगे । इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र जारी हो चुका है।शनिवार 24 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (JCM) के प्रतिनिधियों से बातचीत करेंगे। नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद इस तरह की सीधी बैठक पहली बार होने जा रही है। बैठक प्रधानमंत्री आवास पर होगी। अगर पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू होती है तो इससे देश भर के कर्मचारियों की जिंदगी में बड़ा बदलाव आएगा।
इस मुद्दे को लेकर लंबे समय से शीर्ष स्तर पर मुलाकात की मांग की जा रही थी। कामरेड गालव ने बताया कि“हम कई मुद्दों पर सरकार के संपर्क में हैं। हम अपने मुद्दों पर प्रधानमंत्री से भी मिलना चाहते थे।” उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल किया जाना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इसका अभी तक समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि इसे पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत में उठाएंगे।

वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन के मंडल उपाध्यक्ष एवं मीडिया प्रभारी नरेंद्र जैन ने कहा है कि केंद्र सरकार और केंद्रीय उपक्रमों के कर्मचारियों की यूनियनों ने कुछ महीने पहले 1 में 2024 से बेमियादी हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था, हालांकि तब सरकार के साथ बातचीत और उच्चस्तरीय चर्चा के बाद इसे टाल दिया गया था। कर्मचारियों की मुख्य मांगों में पुरानी पेंशन व्यवस्था को बहाल करने के साथ ही सार्वजनिक उपक्रमों के प्राइवेटाइजेशन और निजी हाथों में सौंपने का कड़ा विरोध शामिल था। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि सरकार के विभिन्न विभागों में खाली पदों को तत्काल भरा जाए।


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