आँचल हो या सूखे पत्ते, मिले छाँव तो छाँव है
भीलवाडा। जिला साहित्यकार परिषद् भीलवाड़ा की मासिक काव्य गोष्ठी सिन्धु नगर स्थित हेमू कालानी भवन में संपन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता दयाराम मेठानी ने और संचालन नवनियुक्त महासचिव महेंद्र शर्मा ने किया।
बैठक का आरंभ सरस्वती वंदना से हुआ। सबसे पहले जनकवि रतन कुमार ‘चटुल’ ने ‘राम के देश’ पर कविता प्रस्तुत की। बंशीलाल ‘पारस’ ने ‘मेरी मनचाही जो हो न सकी’, दिनेश दीवाना ने ‘आँचल हो या सूखे पत्ते मिले छाँव तो छाँव है’, शिखा बाहेती ने ‘सागर से मानवीय संवेदना’ को जोड़ते हुए पर्यावरण की बात कही, दिव्या ओबेराॅय ने ‘कानून, अपराध और सजा’ पर अपनी कटाक्षपूर्ण रचना प्रस्तुत की। रविंद्रकुमार जैन ने ‘नारी मन की अंतर्वेदना’, ओम ‘उज्जवल’ ने ‘गर्मी के मौसम में परिंडे’, रामविलास नागर ने ‘संगम’ का सजीव चित्रण किया, नरेंद्र वर्मा ने ‘पंचतत्व से बने शरीर के सदुपयोग’, गायत्री सरगम ने ‘जिंदगी से यही गिला है मुझे, तूं बड़ी देर से मिला है मुझे’ गजल प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी।
इनके अतिरिक्त प्रेम सोनी ने ‘वीर -कुम्भा’ के शौर्य पर, बृज सुंदर सोनी ने जिन्दगी पर, गोपाल शर्मा ने ‘जीवन की आकांक्षाओं’, अजीज जख्मी ने ‘जिंदा रहा जो शख्स जहर पी कर, आज एक दवाई से मर गया’ तथा महेंद्र शर्मा ने ‘सुख में तनिक संवर लेता हूँ, दुःख में आहें भर लेता हूं’ प्रस्तुत कर तालियां बटोरी।
अंत में पूर्व महासचिव स्वर्गीय राधेश्याम शर्मा तथा दयाराम मेठानी के पौत्र स्वर्गीय मुकुल मेठानी के असामयिक निधन पर सभी ने 2 मिनट का मौन रखकर दोनों को श्रद्धांजलि अर्पित की।