अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों को सुरक्षा देने वालों की जान जोखिम में, खतरों के बीच रह रहे पुलिसकर्मी
बयाना 11 अगस्त (अमन झालानी )। अपनी जान जोखिम में डालकर सबको सुरक्षा देने वाले पुलिसकर्मियों की ही जान जोखिम में है। यह मामला है बयाना पुलिस कोतवाली में तैनात पुलिस कर्मियों व पुलिस अधिकारियों का जो सुरक्षित सरकारी आवासों के अभाव में अब असुरक्षित और गिरासू व जर्जर सरकारी आवासों में रहने को मजबूर हैं। पुलिस के यह सरकारी आवास इतने जर्जर हो चुके हैं की हरदम उनके गिरकर ध्वस्त व धराशाई होने और बड़ा हादसा होने का खतरा बना रहता है। पीडब्ल्यूडी विभाग भी इन सरकारी पुलिस आवासों को असुरक्षित घोषित कर खाली करने को कह चुका है । किंतु पुलिस की यह मजबूरी है कि उनको रहने के लिए अन्य कोई सुविधा नहीं है।
करीब 35 वर्ष पूर्व बहुमंजिला इमारत के रूप में बनाए गए इन सरकारी आवासों की जब से बने हैं तब से अब तक कभी किसी ने भी यहां तक की इनमें रहने वाले पुलिस कर्मियों व पुलिस अधिकारियों ने भी कभी इनकी रंगाई पुताई तक नहीं कराई है ना ही इन्होंने या पीडब्ल्यूडी ने कभी इनकी रंगाई पुताई या मरम्मत नहीं करवाई है। जानकारों की माने तो अगर इन आवासों की समय-समय पर रंगाई पुताई व मरम्मत होती रहती तो इनकी यह दुर्दशा नहीं हुई होती ।आज यह सरकारी आवास देखने में इतने जर्जर और खराब हो चुके हैं कि देखने में सैकड़ों वर्ष पुराने लगते हैं। इन सरकारी आवासों में से हरदम सीलन की दुर्गंध उड़ती रहती है जिसका स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। वहीं इनकी छतों व दीवारों में गहरी दरारें पड़ चुकी हैं ।प्लास्टर के खपरैल कई बार झड़कर अचानक गिर जाते हैं। आरसीसी के सरिये भी छतों व दीवारों से बाहर निकाल कर हवा में झूलने लगे हैं। कई बार बारिश के मौसम में छतों व दीवारों से भी झरने की भांति पानी बहता रहता है।
पुलिस की 24 घंटे की सेवाओं और आपातकालीन ड्यूटी को देखते हुए अब पुलिस कोतवाली के निकट ही नए आवासों के निर्माण की दरकार है। ताकि अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों को सुकून और सुरक्षा देने वाले यह पुलिसकर्मी बिना किसी तनाव के पूरे मनोयोग के साथ अपनी ड्यूटी पूरी कर सकें।