Prayagraj : अमृत सरोवर योजना की आंड़ में सरकारी पैसों की हो रही लूट तालाबों में पानी नदारद उड़ रही धूल

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योजना पूरी तरह चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट, मानकों की उड़ाई जा रही धज्जियां।

प्रयागराज।देश की आजादी के 75 वर्ष पर केंद्र व प्रदेश सरकार अमृत सरोवरों का बड़े पैमाने पर निर्माण करा रही है। केंद्र की ओर से हर संसदीय क्षेत्र में 75-75 सहित कुल 6000 सरोवर बनाए जाने हैं तो राज्य सरकार हर गांव पंचायत में दो-दो सरोवर बनाएगी। प्रदेश में 58189 ग्राम पंचायतें हैं, ऐसे में कुल एक लाख 16 हजार 378 अमृत सरोवर बनेंगे। सरोवरों का पानी साफ रहे, उनमें गांव या शहर का गंदा पानी प्रवेश न करने पाए और सरोवर ग्रामीणों के पर्यटन का केंद्र बने रहें, इसके लिए ग्राम्य विकास विभाग ने विस्तृत खाका खींचा है।
जल संरक्षण के लिए चलाई जा रही सरकार की महत्वाकांक्षी अमृत सरोवर योजना विभागीय उदासीनता के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।अमृत सरोवर का भी काम अधूरा है और वहां पर अव्यवस्थाओं का अंबार है.
ग्रामीणों का आरोप है कि जिम्मेदारों ने जमकर भ्रष्टाचार किया है। ग्रामीणों ने निर्माण कार्य में अनियमितता, गुणवत्ताहीन कार्य कराए जाने सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने निर्माण कार्य की जांच वरिष्ठ अधिकारियों से कराए जाने की मांग की है।
आरोप लगाए हैं कि मजदूरों को रोजगार न देते हुए ट्रैक्टर और जेसीबी जैसे मशीनों से कार्य कराया गया है। दूसरी ओर मस्टररोल में फर्जी तरीके से मजदूरों के नाम दर्ज कर मजदूरी भुगतान भी किया गया है।
ग्रामीणों की माने तो इस निर्माण कार्य के जिम्मेदारों ग्राम प्रधान, सचिव, इंजीनियर ने शासकीय राशि का जमकर बंदरबांट किया है। आज पाखी कई तालाबों में पानी का स्टोरेज नहीं हो सका है। वहीं तालाबों के समीप लाखों की लागत से कराया गया पौधरोपण भी लगभग नदारद है। कार्य पर सवालिया निशान लगाते हुए ग्रामीणों ने कहा कि जांच के बाद यह बंदरबांट स्वामेव ही साबित हो जाएगिग्राम पंचायतों के रहवासी कई ग्रामीण जिन्होंने अपने नाम न छापने की शर्त पर यह आरोप लगाए है।
तो उन्होंने जल्द ही जांच कराते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई किए जाने की बात कही।वर्षा जल संरक्षण व पुराने तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए शासन की ओर से वृहद स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में अमृत सरोवर विकसित किए जा रहे हैं। अमृत सरोवरों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए शासन की ओर से भारी भरकम बजट भी दिया गया है, लेकिन अमृत सरोवर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते नजर आ रहे हैं।
शंकरगढ़ ब्लॉक क्षेत्र में निर्मित किए जा रहे अमृत सरोवर कागजों में तो लगभग पूर्ण हो गए हैं, लेकिन सरोवरों की जमीनी हकीकत अलग है।
बताते चलें कि शासन के निर्देश के क्रम में सभी अमृत सरोवरों के चारों ओर वॉकिंग एरिया, ध्वजारोहण के लिए फाउंडेशन, चारों ओर पौधरोपण, बैठने के लिए सीटें आदि का निर्माण होना है। सरोवर के निर्माण पर 15 से 35 लाख रुपये तक का बजट शासन की ओर से दिया गया है।
बैठने के लिए सीट तक नहीं, इंटरलॉकिंग कार्य भी अधूरा
जिम्मेदारों की ओर से अमृत सरोवरों के कच्चे कार्य पूर्ण होने व पक्के निर्माण कार्य शुरू होने का दावा किया जा रहा है, जबकि पड़ताल में 60 प्रतिशत कार्य भी पूर्ण नहीं मिला। कच्चे कार्यों की बात की जाए तो कई सरोवरों पर खुदाई तो कहीं पटाई का कार्य होता दिखा। वहीं कई जगहों पर इनलेट-आउटलेट का कार्य होता दिखा। सरोवरों पर वॉकिंग ऐरिया निर्माण, पौधरोपण, बैठने के लिए सीट नहीं दिखी। वहीं इंटरलॉकिंग कार्य भी अधूरा दिखा।
वहीं निर्माण में प्रयोग हो रही सामग्री भी मानक विहीन पाई गई। कुछ जगहों पर मानक विहीन ईंटों का प्रयोग होता पाया गया। ऐसा तब है जब प्रत्येक अमृत सरोवर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है, रोजाना निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग करता हैं।
लेकिन गांव में बन रहे मानसरोवर योजना जिसमें पोखरे की खुदाई कर उसे सुंदरीकरण करना है. जिसमें मनरेगा मजदूरों द्वारा श्रम की व्यवस्था है, लेकिन आपको बताते चलें कि शंकरगढ़ विकास खंण्ड के ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवर के अन्तर्गत पोखरे की खुदाई का कार्य करवाया जा रहा है, लेकिन यह सिर्फ कागजी आंकड़ों में ही खुदाई दिखाई दे रहा है.
योजना पूरी तरह भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ता नजर आ रहा है.
इस संबंध में जब विकास खंड के जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क करनें का प्रयास किया गया तो किसी ने मुनासिब जवाब न देते हुए अपना पल्ला झाड़ने में लगे रहे कई जिम्मेदारों का तो मोबाइल तक रिसीव नहीं हुआ. अब देखना यह है कि इस पर क्या कार्रवाई होती है या इसी तरह यह योजना कागजी आंकड़ों में बना रहेगा ।

राजदेव द्विवेदी


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