Prayagraj : श्री राम जन्म व श्री कृष्ण की कथा का प्रसंग सुन झूम उठे श्रद्धालु

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श्रीमद्भागवत की कथा सुनने मात्र से जीव को होती है मोक्ष की प्राप्ति व जन्म जन्मांतर के पापों का होता है अंत-कथा व्यास ह्रदय नारायण मिश्र

प्रयागराज। नगर पंचायत शंकरगढ़ के बड़गडी ग्राम में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन सोमवार को कथा व्यास ह्रदय नारायण मिश्र जी ने कथा के मुख्य यजमान बंश बहादुर सिंह ( बंशू बाबा ) और श्रद्धालुओं को भागवत कथा का महत्व बताते हुए श्रीराम कथा व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव आदि प्रसंग का वर्णन किया।कथा व्यास ने कहा कि कलयुग में भागवत की कथा सुनने से जीव को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही जन्म जन्मांतर के पापों का अंत भी होता है। कृष्ण जन्म के प्रसंग शुरू होते ही पूरे पंडाल में मौजूद श्रद्धालु नन्द के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की… भजनों के साथ झूम उठे। श्री कृष्ण के जन्म का प्रसंग बेहद संजीदगी के साथ सुनाया कि
द्वापर युग में भोजवंशी राजा उग्रसेन मथुरा में राज्य करते थे। उग्रसेन की पुत्री देवकी व पुत्र का नाम कंस था। देवकी का विवाह वासुदेव नामक यदुवंशी से हुआ। कंस अपनी बहन देवकी को उसकी ससुराल पहुंचाने जा रहा था। रास्ते में आकाशवाणी हुई- ‘हे कंस, जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से ले जा रहा है, उसी में तेरा काल बसता है। इसी के गर्भ से उत्पन्न आठवां बालक तेरा वध करेगा। भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि की घनघोर अंधेरी आधी रात को रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लिया। भगवान श्री कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गये और भगवान श्री कृष्ण गोकुल पहुंच गये। यह तिथि उसी शुभ घड़ी की याद दिलाती है और सारे देश में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। मौके पर झांकी प्रस्तुत कर भगवान श्रीकृष्ण का आविर्भाव एवं जन्मोत्सव मनाया गया, मानो कुछ क्षण के लिए आयोजन स्थल नंदालय बन गया। कृष्ण जन्म की कथा के पूर्व भगवान राम के अवतार की लीला का वर्णन किया। इसमें बताया कि राजा दशरथ महारानी कौशल्या के घर जन्म हुआ भगवान श्री राम ने मर्यादा स्थापित कर मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये। राम जन्म, ताड़का वध, राम विवाह, वनवास, रावण वध सहित राम राज्याभिषेक पर सुन्दर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि द्वापर में जब कंस के अत्याचार बढ़े तो श्री कृष्ण ने अवतार लेकर मुक्ति दिलाई। कथा में उपस्थित श्रद्धांलुओं को सम्बोधित करते हुए उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शो का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। अंत में आरती कर मक्खन मिश्री के प्रसाद का भोग लगाकर वितरण किया गया। कथा के दौरान सैकड़ों की संख्या में मौजूद भक्त (श्रोता) भाव विभोर हो गये। श्रीमद् भागवत कथा 12 मई से शुभारंभ हुआ और 19 मई को समापन एवं महाप्रसाद वितरित किया जायेगा।

R. D. Diwedi


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