Prayagraj : भ्रष्ट ठेकेदारों व जिम्मेदारों ने गठजोड़ कर निगल लिए ब्लास्टिंग कूप

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भ्रष्टाचार है महारोग सफेदपोश, ब्यूरोक्रेट और ठेकेदारों की तिकड़ी है खतरनाक

प्रयागराज। भ्रष्टाचार के एक से बढ़कर एक नमूने देखने और पढ़ने को मिलते हैं जैसे कागज पर ही सड़क बनाना, तालाब और कुआं खोदना तथा पौधे रोपने में ज़िम्मेदार अधिकारियों को महारत हासिल है,वह भी बिना किसी डर भय के उन्हें पता है कि उनका कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है क्योंकि भ्रष्टाचार से मिली कमाई का हिस्सा काफी ऊपर तक जाता है। कुछ दिन पहले एक फिल्म आई थी मदारी*इस फिल्म में भ्रष्टाचार के इस गठजोड़ को बखूबी उजागर किया गया है।
भ्रष्टाचार रोकने की जिम्मेदारी जिनकी वही तो नंबर वन
भ्रष्टाचार को रोकने की जिम्मेदारी जिनकी है वही इसे बढ़ाने के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। कई सर्वे में पुलिस और राजनेताओं का पेशा सबसे अधिक करप्ट में शुमार होता है। इनकम टैक्स, सीबीआई, विजिलेंस, निगरानी ब्यूरो और अन्य कर विभागों के अधिकारी कर्मचारियों के पास आय से अधिक संपत्ति होना आम बात है यही लोग भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जिम्मेदार हैं लेकिन यही लोग कहीं ना कहीं रिश्वत लेकर मामलों को दबाने,लटकाने, सल्टाने का काम करते हैं इसी वजह से भ्रष्टाचार करने वालों में डर भय नहीं है।
योगीराज में भी मनबढ़ भ्रष्टाचारी ठेकेदार भ्रष्टाचार से बाज नहीं आ रहे इन्हें कार्यवाही का कोई खौफ नहीं है। जनपद के विकासखंड शंकरगढ़ क्षेत्र अंतर्गत मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के तहत बनाए गए ब्लास्टिंग कूप मानक को दरकिनार कर करवाए गए हैं। गिने-चुने ठेकेदारों को छोड़ दिया जाए तो बाकी सब के सब भ्रष्टाचार की गंगोत्री में गोता लगा रहे हैं। बता दें कि किसानों के लिए कल्याणकारी योजना पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है क्षेत्र के बेमरा, पचासा, मदनपुर, लेदर व जूही आदि ग्रामों में कराए गए ब्लास्टिंग कूप निर्माण कार्य आधा अधूरा करके छोड़ दिए गए हैं जबकि इस समय अन्ना जानवर आवारा घूम रहे हैं किस समय कुएं में पानी को देखकर गले को तर करने के लिए गिरकर काल के गाल में समा जाएं और कौन होगा इनका जिम्मेदार जो हादसों को दावत दे रहे हैं। जबकि केंद्र और प्रदेश सरकार किसानों के हित में कल्याणकारी योजनाओं पर काम कर रही है लेकिन भ्रष्टाचारियों के आगे संबंधित अधिकारी भी नतमस्तक हो चुके हैं जिससे ब्लास्टिंग कूप के निर्माण से किसानों को कोई लाभ मिलता नहीं दिख रहा है।

R. D. Diwedi


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