Prayagraj : अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा गढ़वा किला का तालाब

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सिलिका सैंड कारोबारी तालाब के अस्तित्व को मिटाने पर उतारू जिम्मेदार मौन

प्रयागराज। सूबे की सरकार एक तरफ तालाबों से अवैध अतिक्रमण हटाने और तालाबों को स्वच्छ सुंदर बनाने में प्रयासरत है वहीं दूसरी ओर अतिक्रमणकारियों के आगे जिम्मेदारों ने मौन व्रत धारण कर रखा है। जनपद के यमुनानगर विकासखंड शंकरगढ़ ग्राम पंचायत गाढ़ा कटरा मजरा गढ़वा किला का तालाबअपनी दुर्दशा को देखकर आंसू बहाने को मजबूर है। एक जमाना था जब लोग इस तालाब से पीने के लिए घड़े में पानी भरकर अपने घरों को ले जाते थे मगर आज नजारा इससे इतर है। तालाब का भारी क्षेत्रफल धीरे-धीरे अतिक्रमणकारियों के चंगुल में फंस कर सिमटता जा रहा है। तालाब के क्षेत्रफल को सिकुड़ने का कारण अराजक तत्वों द्वारा अवैध रूप से अतिक्रमण कर अवैध सिलिका सैंड बालू की धुलाई करने वास्ते वाशिंग प्लांट बनाकर तालाब के पानी का दोहन कर रहे हैं जबकि खास बात यह है कि ऐतिहासिक गढ़वा किला से झरने के रूप में अनवरत बहने वाला पानी आगे चलकर एक झील का निर्माण करते हुए वही पानी गढ़वा किला के तालाब में समाहित हो जाता है बावजूद इसके अतिक्रमणकारियों ने बहते हुए पानी का दोहन कर तालाब के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है नजारा यह है कि आम जनमानस को पानी पीने की तो बात छोड़िए जनाब जानवरों तक को पानी मुवस्सर नहीं है तालाब में गंदगी होने की वजह से तालाब का पानी दूषित हो गया है पानी दूषित होने का प्रमुख कारण है अवैध सिलिका सैंड बालू को धोने के बाद वाशिंग प्लांट से तालाब में गंदा पानी बहा दिया जाता है जिससे दूषित पानी को जानवर भी पीना पसंद नहीं करते। ग्राम वासियों ने संबंधित विभाग का ध्यान आकृष्ट करवाते हुए पुरजोर मांग की है कि इस तालाब के दूषित पानी को स्वच्छ करने के लिए अतिक्रमणकारियों के चंगुल से तालाब को मुक्त कराया जाए जिससे आम जनमानस को पानी की किल्लत से निजात मिल सके और तालाब का अस्तित्व बच सके।
बताते चलें कि पाठा क्षेत्र होने की वजह से बारहों मास पानी की किल्लत बनी रहती है मजे की बात तो यह है कि यह तालाब विकासखंड शंकरगढ़ मुख्यालय से महज चंद्र किलोमीटर की दूरी पर स्थित है बावजूद इसके इस बस्ती के लोग आजादी के 75 वर्ष बाद भी तालाब के स्वच्छ पानी को उपयोग में लाने के लिए तरस रहे हैं। आलम यह है कि दिनोंदिन पेयजल का संकट गहराता जा रहा है तालाब के पानी का दोहन करने की वजह से मवेशी दूषित पानी को पीने के लिए बाध्य हैं।

 राजदेव द्विवेदी


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