बदहाल बेसिक शिक्षा नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ आखिर जिम्मेदार कौन..?
प्रयागराज।ब्यूरो राजदेव द्विवेदी। उत्तर प्रदेश में सर्व शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को बढ़ाने के तमाम दावों के बीच जनपद के विकासखंड शंकरगढ़ के प्राथमिक विद्यालय चन्द्रा लोनियान में मात्र एक शिक्षा मित्र ओम प्रभा के सहारे चल रहा है। ऐसे में एक साथ पांच कक्षा के छात्रों को अलग-अलग कक्षाओं में बैठाकर शिक्षा देने से उनकी शिक्षा तो बाधित हो ही रही है साथ ही उक्त शिक्षा मित्र पर अतिरिक्त भार भी पड़ रहा है। इससे उनकी क्षमता प्रभावित होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। बता दें कि मीडिया टीम के भौतिक परीक्षण में शनिवार को विद्यालय में केवल शिक्षामित्र मौजूद मिलीं। जबकि इस समय विद्यालय में शिक्षामित्र ओम प्रभा के अलावा सहायक अध्यापक नारायण सिंह व सहायक अध्यापक दीपक कुमार सोनी विद्यालय में कार्यरत हैं। शिक्षामित्र ओम प्रभा ने जानकारी देते हुए बताया गया कि जनवरी से ही नारायण सिंह चुनावी ड्यूटी में लगे हुए हैं दूसरे सहायक शिक्षक दीपक सोनी तबीयत खराब होने की वजह से आकस्मिक अवकाश पर हैं। वहीं अभिभावकों की माने तो नारायण सिंह कोई ना कोई बहाना बनाकर अक्सर विद्यालय नहीं आते हैं। ऐसे में बच्चों की भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। अहम और बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि एकल विद्यालय होने के बावजूद नारायण सिंह की ड्यूटी चुनाव में कैसी लगी। जबकि पूर्व में प्रधानाध्यापक शशी मिश्रा के ऊपर उच्च अधिकारियों के द्वारा कार्यवाही भी हो चुकी है जो वर्तमान में जानकारी दी गई की सस्पेंड चल रही है और अतिरिक्त प्रधानाध्यापक का चार्ज नारायण सिंह को दिया गया है। बावजूद इसके सहायक अध्यापक चुनावी हवाला देकर और दूसरे सहायक अध्यापक बीमारी का बहाना बताकर विद्यालय से नदारत हैं। ऐसे में कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ऐसे लापरवाह शिक्षक शिक्षा व्यवस्था को धता बताकर उच्च अधिकारियों को गुमराह कर उन्हें खुली चुनौती पेश करते नजर आ रहे हैं। प्रतिमाह भारी भरकम वेतन उठाने वाले सहायक अध्यापक विद्यालय आने में हीला हवाली दे शिक्षामित्र के सहारे विद्यालय को छोड़ दिया है।सूत्र बताते हैं कि जब से खंड शिक्षा अधिकारी शंकरगढ़ ने कार्यभार संभाला है तब से शिक्षा व्यवस्था चौपट हो रही है। तमाम शिकायतों के बावजूद भी लापरवाह सहायक अध्यापकों के खिलाफ खंड शिक्षा अधिकारी कार्यवाही करने से कतराते नजर आ रहे हैं। शिक्षामित्र ओम प्रभा का दर्द उस समय छलक पड़ा जब बच्चों के पढ़ने के साथ उन्हें ही सरकारी योजना मिड डे मील के तहत बच्चों के लिए भोजन की भी व्यवस्था करनी पड़ती है।