प्रमुख सचिव परिवहन ने दीप प्रज्जवलन कर सड़क सुरक्षा गोष्ठी कार्यक्रम का किया शुभारम्भ

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प्रमुख सचिव परिवहन ने दीप प्रज्जवलन कर सड़क सुरक्षा गोष्ठी कार्यक्रम का किया शुभारम्भ

प्रयागराज। इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन (एएमए) के सभागार में सड़क सुरक्षा पखवाड़ा के अन्तर्गत गीता ज्ञान, सड़क सुरक्षा और कर्मयोगी मिशन पर लोक संवाद विषयक गोष्ठी का आयोजन किया गया है। मुख्य अतिथि प्रमुख सचिव परिवहन एल0 वेंकटेश्वर लू के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर गोष्ठी का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर प्रो0 हरी राम मिश्रा, रामकृष्ण गोस्वामी अध्यक्ष भारतीय चरित्र निर्माण संरचना नई दिल्ली, कपिला नंद चतुर्वेदी, प्रो0 प्रकाश नारायण त्रिपाठी ने भी गोष्ठी में प्रतिभाग किया।कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने कर्मयोग, सड़क सुरक्षा एवं गीता शिक्षा पर विस्तार से बताते हुए इनके अंर्तसम्बंधों को भी बताया। उन्होंने कहा कि भगवद् गीता में सबकी सुरक्षा की गारंटी से सम्बंधित विषयों का समावेश है। सबको भगवद् गीता का अध्य्यन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी को प्रमाणिकता के साथ अपने कार्य को लगन और निष्ठा के साथ करना चाहिए। गीता में कर्मयोग के बारे में बताया गया है। कर्मयोग से व्यक्ति में वैचारिक शुद्धता, त्याग की भावना, राष्ट्रभक्ति एवं देशभक्ति विकसित होती है, जिससे व्यक्ति समाज सेवा से जुड़ता है। कर्मयोग से ही मानसिक नियंत्रण रख सकेंगे एवं सड़क सुरक्षा व समग्र सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। उन्होंने कहा कि बच्चों को सही शिक्षा एवं संस्कार दिया जाना चाहिए। कहा कि अधिकारी, कर्मचारी व सभी व्यक्तियों को अपने कर्म को ठीक ढंग से करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दूसरों का सहयोग करना चाहिए तथा दूसरों से सहयोग भी लेना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के मन, वचन, कर्म एवं वाणी में एकता होनी चाहिए। कहा कि शास्त्रों में सटीक जीवन के बारे में बताया गया है। शास्त्रों का अध्ययन करना चाहिए एवं उसके अनुसार अपना आचरण करने का प्रयास करना चाहिए। सड़क सुरक्षा के बारे में उन्होंने कहा कि यातायात के नियमों का कड़ाई से पालन करना चाहिए। कहा कि जो भी कार्य करें, सावधानी के साथ करें। शराब का सेवन करके वाहन नहीं चलाना चाहिए।
मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान दिल्ली के अध्यक्ष श्री राम कृष्ण गोस्वामी ने कहा कि मन पर नियंत्रण न होना ही दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है। उन्होंने गीता शिक्षा पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि गीता शासन, प्रशासन व अनुशासन का केन्द्र बिंदु है एवं न्याय धर्म की आत्मा है। उन्होंने कहा कि गीता के कर्मयोग का ज्ञान सबको होना चाहिए। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी दिल्ली के प्रो0 हरी राम मिश्रा ने कहा कि मन को वश में करना चाहिए। अभ्यास से मन को निग्रह किया जा सकता है। कर्मयोग से ही ज्ञान योग प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वाहन चलाते समय चालक को अपने कर्तव्यों का बोध होना चाहिए। शराब का सेवन करके वाहन नहीं चलाना चाहिए। यातायात के नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए, इससे दुर्घटनाओं को रोकने में काफी सहायता मिलेगी। प्रो0 प्रकाश नारायण त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि गीता में वह सभी चीजें हैं, जो हमारे लिए आवश्यक है।प्रमुख सचिव ने गोष्ठी में उपस्थित लोगो को सड़क सुरक्षा की शपथ दिलाते हुए कहा कि ‘‘प्रतिज्ञा करते हैं कि हम, सड़क पर सदैव यातायात नियमों का पालन करेंगे तथा सुरक्षित याता हेतु सदैव हम यातायात सम्बंधी समस्त नियमों का पालन करेंगे। हम बिना 18 वर्ष की आयु पूर्ण किये तथा बिना ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त किए वाहन का संचालन नहीं करेंगे। हम बिना हेल्मेट के मोटर साइकिल/स्कूटर नहीं चलायेंगे। हम चार पहिया वाहन चलाते समय सीटबेल्ट का अनिवार्य रूप से प्रयोग करेंगे। हम पायदान या दरवाजों पर लटककर याता नहीं करेंगे। हम कभी भी नशे की स्थिति में वाहन का संचालन नहीं करेंगे। हम वाहन चलाते समय मोबाईल फोन का प्रयोग नहीं करेंगे। हम वाहन चलाते समय स्टन्ट नहीं करेंगे। हम अत्यधिक तेज गति में वाहन नहीं चलायेंगे। हम दो पहिया वाहन पर ट्रिपलिंग नही करेंगे। हम वाहन चलाते समय सेल्फी नहीं लेंगे। हम लोगो को यातायात नियमों के पालन करने हेतु प्रेरित करेंगे। हम वाहन चलाते समय पैदल एवं साइकिल यात्रियों को सम्मान प्रदान करेंगे। हम सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की मदद हेतु सदैव तत्पर रहेंगे।


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