बरसात ने खोल दी स्वच्छता की पोल , जलभराव व कीचड से कस्वा के लोग परेशान

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ऐ भाई जरा देख के चलो………….

 हलैना के बाजार और इन्दिरा कॉलोनी की हालत दयनीय

भरतपुर|सरकार द्वारा ग्रामीण अंचल की स्वच्छता के लिए अनेक योजनाओं से पैसा आता है और उस पैसा का ठीक प्रकार से उपयोग हो जाए,तो ग्रामीण क्षेत्र में गन्दगी नजर नही आऐगी। लोगों को गन्दगी से मुक्ति मिलेगी। लेकिन प्रषासन,ग्राम पंचायत एवं क्षेत्रिय जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के कस्वा हलैना के मुख्य बाजार और इन्दिरा कॉलोनी सहित अन्य स्थान के रास्ता में जल भराव तथा कीचड जमा है। गन्दा पानी निकास को बनी नालियां में कचरा जमा तथा गन्दगी से सटे रास्ता की दयनीय हालत ने स्वच्छता अभियान की पोल उजागर की दी। ऐसी हालत से कस्वा के लोग,दुकानदार एवं राहगीर परेषान है। सबसे ज्यादा परेषानी का सामना स्कूल के बच्चा और बुर्जग लोगों को झेलनी पडती है। जो भी ऐसे रास्तो से आवागमन करता है,उसके मुख से एक ही वाक्या सुनने को मिलता है। ऐ भाई जरा देख के चलो।
कस्वा के दुकानदार मुकेष कुमार एवं रामदयाल ने बताया कि जयपुर नेषनल हाइवे से मुख्य बाजार के रास्ता में हल्की बरसात होते ही जल भराव हो जाता है और प्रवेषद्वार पर भारी कीचड जमा है। ग्राम पंचायत ने साल 2009 से अब तक मुख्य बाजार में चार बार सीसी सडक और तीन बार नाला का निर्माण करा दिया। उसके बाद भी बाजार की हालत दयनीय है। दुकानदार सतीष गर्ग व दिनेषचन्द ने बताया कि बाजार में बने नाला की सफाई तथा जगह-जगह नाला अवरूद्व होने से जल भराव के हालत बन जाते है,जिससे बाजार में आधा इंच से सवा फीट तक पानी भर जाता है। दुकान और घरों में पानी प्रवेष होने से दुकान व घर का सामान खराब हो जाता है। दुकानदार व ग्राहक आवागमन करने में अनेक दिक्कत उठाते है। कस्वा निवासी रामकिसन पण्डित ने बताया कि इन्दिरा कॉलोनी में गन्दा पानी व कीचड भरा पडा है और नालियां गन्दगी से सटी पडी है। हुकुम कुम्हार के घर पास बने नाला का फेरोकवर टुटा पडा है और आए हादसे होने से परेषान होकर उसके लोगों ने नाला से हटा दिया। इसी प्रकार से रामकिसन की दुकान के पास बना नाला से भी फेरोकवर हटे पडे है। आए दिन वाहन फंस जाते है और बच्चे व बुर्जग लोग नाला में गिर पडते है।
– पानी निकास का आया पैसा व्यर्थ
कस्वा के प्राचीन अतिराम सागर के गन्दा पानी निकासी को जिला प्रषासन के द्वारा करीब ढाई लाख का वजट आया,जिस वजट से सागर से पानी निकासी को इन्जन व पाइप के क्रय किए और सागर से पानी की निकासी हुई। लेकिन बरसात ने सागर से पानी खलाई की पोल उजागर कर दी। जिनता पानी निकाला गया,उससे तीन गुना पानी सागर में भर गया। सागर की स्वच्छता व जीर्णोद्वार के लिए साल 1977 से अब तक करोडों का वजट स्वीकृत हो चुका,लेकिन सागर की हालत आज भी दयनीय बनी हुई है। कस्वा निवासी मुकेषचन्द ने बताया कि साल 1997 में सागर के पानी निकासी के समय कई इन्जन डूब गए,लेकिन सागर का गन्दा पानी नही निकल सका। कस्वा के सोहनसिंह ने बताया कि अतिराम सागर साल 1977 से अब तक रहे सरपंच और सचिव की जेब भरने का साधन बन गया। जब भी कोई सरपचं रहा,उसने सागर के नाम पैसा का गलत तरीके से उपयोग किया।


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