जैन संतों को सुरक्षा उपलब्ध करवाए राजस्थान सरकार
बामनवास | राजस्थान समग्र जैन युवा परिषद् के एक प्रतिनिधि मण्डल ने समाजसेवी सुनील जैन के नेतृत्व में उपजिला कलेक्टर बाबूलाल जी से मुलाकात कर अल्पसंख्यक वर्ग के जैन समुदाय के हितों की रक्षार्थ के लिए सम्पूर्ण राजस्थान राज्य में श्रमणों (साधु/साध्वियों) के पैदल विहार के समय विशेष सुरक्षा एवं चर्या के संरक्षण और ठहरने के लिए विशेष व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लिए स्थायी नियम बनाकर सम्बन्धित विभागों को निर्देशित करने के लिए राज्यपाल कलराज मिश्र और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन देकर समुदाय के युवा वर्ग की भावनाओं से राज्यपाल और मुख्यमंत्री को अवगत करवाने के लिए अनुरोध किया इस पर उपजिला कलेक्टर बाबूलाल जी ने जैन समुदाय की मांग पर तुरन्त कार्यवाही करते हुए राज्यपाल और मुख्यमंत्री महोदय को अवगत कराने का आश्वासन दिया l
इस अवसर पर आशीष जैन ने बताया कि भगवान महावीर ने जिओ और जीने दो का उपदेश दिया जिसका अर्थ है स्वयं भी जिओ और दूसरो को भी जीने दो l अहिंसा का अर्थ कायरता नही है l हमारे साधु/संत श्रमण कहलाते है इसलिए ही हम श्रमण संस्कृति के उपासक है जब श्रमण ही नही रहेंगे तो जैन धर्म कहां से रह पायेगा l
समाज सेवी बृजेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि आजाद भारत में पहली बार किसी श्रमण की इतनी नृशंस एवं क्रूरतम हत्या सम्पूर्ण जैन समुदाय के युवा वर्ग के लिए अकल्पनीय ही नही अपितु समस्त जैन समुदाय के रोंगटे खड़े करने वाली है हमारे पैरो नीचे की धरा खिसक गयी है श्रमण 108 श्री कामकुमार नन्दी जी महाराज की निर्मम हत्या से अहिंसा प्रेमी जैन समुदाय का युवा वर्ग की बाजुए फड़क उठी है उनका का खून खौल रहा है उन्हे अहिंसावादी बनाएं रखना समाजश्रेष्ठियो के लिए बहुत बड़ा कार्य हो गया है l राजस्थान का सम्पूर्ण जैन समुदाय इस घटना से आज बहुत दुःखी है,नि:शब्द और स्तब्ध है एवं आशा भरी निगाहों से आपकी तरफ देख रहा है l
शिक्षाविद मुकेश जैन ने बताया कि वर्तमान परिपेक्ष्य में प्रदेश में प्राचीन धार्मिक एवं तीर्थ स्थलों को विनिष्ट करने का असामाजिक तत्वों के द्वारा निरन्तर कुप्रयास हो रहा है l जैन धर्म की धरोहरों पर अवैध अतिक्रमण की दुर्भावनाएं हो रही है l जैन संतों पर अवांछित टिप्पणी और अवैध धमकिया तो अब छोटी बाते नजर आने लगी है संतो के नौ-नौ टुकड़े होने लगे है l संतो को विहार में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है l इतना ही नहीं इस समय श्रमण एवं जैन संगठनो और श्रावक श्रार्विकाओ पर खतरे के बादल उनके ऊपर मडराते हुए साफ दिखाई दे रहे है l इसलिए जैन समुदाय के सामाजिक एवं आर्थिक स्थलों एवं श्रमणों,श्रमण संस्कृति के उपासको की सुरक्षा व श्रमण परम्परा का संरक्षण होना अतिआवश्यक है |