धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं:-हरि चैतन्यपुरी
कामां। जीवन आत्मविश्वास,लगन,उत्साह गुरू व परमात्मा पर दृढ़ विश्वास के अभाव में हमें सफलता प्राप्त नहीं हो सकती। लक्ष्य निर्धारित कर के सही दिशा में मार्गदर्शक के बताए अनुसार यदि हम समुचित प्रयास करें तो हमें अपना वांछित लक्ष्य अवश्य ही प्राप्त होगा। जीवन को संत मत, शास्त्र मत, व आत्मा के मत के अनुसार बनाए। आत्म कृपा के अभाव में परमात्मा गुरु व शास्त्र कृपा को निष्फल ना करे। यह बात संत हरि चैतन्य पुरी ने तीर्थराज विमल कुण्ड पर आए श्रृद्धालुओं से कही।
उन्होंने कहा कि हर प्रकार की संकीर्णताओं व मतभेदों को त्यागकर आपसी प्रेम, एकता व सद्भाव बनाए रखें। अशांत व्यक्ति को कहीं सुख नहीं मिल सकता। अतरू शांति को जीवन में प्रमुखता से स्थान दें। परिवार में,नगर में,राष्ट्र में व सामाज में शांति का साम्राज्य स्थापित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे। अपने जीवन को राष्ट्रीयता,मानवता,प्रेम भक्ति,सेवा ,परोपकार से परिपूर्ण बनाएं। अन्धविश्वासों,कुरीतियों,बुराइयों गंदे व्यसनों,वैर ,विरोध,राग,द्वेष,ईष्र्या,अभिमान व अन्याय विकारों से रहित अपना जीवन बनाए। पाश्चात्य सभ्यता का अंधानुकरण त्यागकर देश की अमूल्य व महान संस्कृति के महत्व को समझ कर अपने जीवन में उतारें। मत,पंथ,संप्रदाय विभिन्न हो सकते हैं परंतु धर्म एक ही है। धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं। दुर्भाग्यवश आज धर्म व परमात्मा के नाम पर ही लोग टूटते व बटते चले जा रहे हैं। समाज को तोड़ने व बांटने की जो घृणित कोशिशें की जा रही है विभिन्न आधारों पर उन्हें कामयाब न होने दे। समय रहते ही जागरूक हो जाए अन्यथा अंत में पश्चाताप के अलावा हमारे हाथ कुछ भी शेष नहीं रहेगा।