100 से अधिक गांव में चरागाह विकसित करने का संकल्प


भीलवाड़ा|एसडी फाउंडेशन ,अपना संस्थान एफईएस और गोयल ग्रामीण विकास संस्थान के द्वारा चलाए जा रहे सुविचार अभियान (सुरभी विहार चारागाह रक्षण अभियान ) के तहत 100 से अधिक गांवों के चरागाह विकसित करने का संकल्प लिया गया।
भीलवाड़ा जिले के संयोजक ओमप्रकाश आमेटा ने बताया कि चारागाह विकास के लिए मांडलगढ़ ब्लॉक के जोजवा ग्राम में इस हेतु एक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक के मुख्य वक्ता श्री त्रिलोक चंद छाबड़ा आरसीएम समूह एवं संरक्षक एसडी फाऊंडेशन थे। इस बैठक में बोलते हुए प्रांत कार्यवाह डॉ शंकर लाल माली ने चारागाह को ग्राम विकास एवं ग्राम समृद्धि का आधार बताया ।अपना संस्थान राजस्थान के संयोजक श्री विनोद मेलाना ने कहा कि चारागाह ग्राम के पर्यावरण को स्वस्थ एवं समृद्ध बनाएगा एवं हजारों पेड़ लगाने का एक स्थान बन जाएगा। जिसमें स्थानीय प्रजातियों के खूब वृक्ष लगाए जा सकते हैं।

भीलवाड़ा के सहसंयोजक सूर्य प्रकाश शर्मा व भंवर लाल भांभी के अनुसार इस बैठक के पूर्व जिले की तहसीलों से आए कार्यकर्ताओं ने माकड़िया गांव के चारागाह को देखा । उन्होंने चारागाह की रचना का अध्ययन भी किया। एफईएस भीलवाड़ा जिला कोऑर्डिनेटर वंदना संभ्याल ने माकड़िया चारागाह की बारीकियां को समझाते हुए बताया कि माकड़िया के चारागाह में जगह-जगह ट्रेंच कंटूर बनी है। पानी जब बहे तो उसके साथ मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए जगह-जगह चेक डैम बने हैं। जिससे मिट्टी का कटाव ना हो । साथ ही यहां पर स्थानीय प्रजाति के वृक्षों का रोपण किया गया है। इन स्थानीय प्रजाति के वृक्षों को लगाने के पश्चात पानी देने की आवश्यकता नहीं रहती है क्योंकि यह ट्रेंच और कन्टूर के पास लगाए गए हैं। यह ट्रेंच वर्षा काल में 8 से 10 बार भरकर वापस जमीन में पानी सोंख लिए जाने के कारण वाटर रिचार्ज करने का महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । इस तरह का में वर्षा काल के पूर्व छह प्रकार के घास के बीच डाले गए हैं। जिससे चारे की उपलब्धता हो जाती है। यह चारा कार्तिक मास तक की अपने बीज नहीं छोड़ दे तब तक काटा नहीं जाता है । इस समय तक के चारा लगभग 4- 5 फीट का हो जाता है। फिर इसे काटकर पशुधन को इसमें छोड़ दिया जाता है । जिससे गांव में चारे की उपलब्धता हो जाती है । ग्राम जीवन में पशुधन रोजगार और ग्राम में जीवन का आधार है । यह ग्राम समृद्धि का कारक तभी हो सकता है जब वहां का पशुधन के लिए पर्याप्त चारा उपलब्ध हो ।
विभाग प्रचारक दीपक कुमार जी ने कहा चारागाह से प्रकृति व पर्यावरण का संतुलन भी बनता है। माकड़िया चारागाह अवलोकन के पश्चात जिले की के कार्यकर्ता टीम जोजवा चारागाह के समीप बैठी। इस बैठक में जिले के 100 से अधिक चारागाह को विकसित करने का योजना रचना बनाई गई ।
अभियान के समन्वयक श्री महेश चन्द्र नवहाल ने चारागाह विकास में ग्राम जनों की सहभागिता पर प्रकाश डाला।
बैठक में सर्वश्री कमल शर्मा , राम रतन शर्मा,महावीरसिंह चैनपुरा, कन्हैयालाल प्रजापत,सत्यनारायण जाट, कल्याण नाथ, सुरेंद्र शर्मा, परमेश्वर कुमावत, अंशुल शर्मा, लक्ष्मण कुमावत, पवन जांगिड़, साधना मेलाना, शिव प्रकाश पगारिया, प्रमोद शर्मा, कानाराम, सुरेश पाराशर , घासीलाल जाट, ,घनश्याम शर्मा, परमेश्वर सिंह, रिंकी वैष्णव शहीद कई व्यक्तित्व उपस्थित थे।


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