ऋषि बोधोत्सव मनाया धूमधाम से

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गंगापुर सिटी। आर्य समाज व आर्य वीर दल गंगापुर सिटी के तत्वधान में शुक्रवार को ऋषि बोधोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया नगर संचालक आशुतोष आर्य ने बताया कि ऋषि बोधोत्सव के उपलक्ष्य में शुक्रवार को प्रातः 6:30 बजे से 7:45 तक प्रभात फेरी निकाली गई प्रभात फेरी को देवी स्टोर स्थित आर्य समाज मंदिर से प्रारंभ करते हुए देवी स्टोर खारी बाजार, शिवाजी बाजार, सर्राफा बाजार, चौपड़, बालाजी चौक, नया बाजार, पुरानी अनाज मंडी,व्यापार मंडल आदि शहर के मुख्य बाजार होते हुए प्रभात फेरी निकाली गई प्रभात फेरी में पूर्व प्रधान मदन मोहन बजाज जी ने प्रभात फेरी के दौरान लोगो को महर्षि दयानंद के बारे में बताया साथ ही वैदिक धर्म की जय हो, गौ माता का पालन हो, भारत माता की जय आदि अनेक नारे लगाए मंत्री अभिषेक बंसल ने बताया की मूर्ति पूजा और आडंबर का पुरजोर विरोध करने वाले आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती की जीवनधारा शिवरात्रि की एक घटना ने बदल कर रख दी थी। शिव भक्त पिता के कहने पर उन्होंने शिवरात्रि का उपवास रखा था, लेकिन मध्य रात्रि में शिवलिंग पर एक चुहिया को नैवेद्य खाते देख उनका मूर्ति पूजा पर से भरोसा उठ गया वह सच्चे शिव की तलाश में निकल पड़े ।सच्चे ज्ञान की खोज में इधर-उधर घूमने के बाद स्वामी दयानन्द सरस्वती मथुरा में वेदों के प्रकांड विद्वान प्रज्ञाचक्षु स्वामी विरजानन्द के पास पहुंचे। दयानन्द ने उनसे शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने इन्हें वेद पढ़ाया। वेद की शिक्षा दे चुकने के बाद उन्होंने इन शब्दों के साथ दयानन्द को छुट्टी दी “मैं चाहता हूं कि तुम संसार में जाओ और मनुष्यों में ज्ञान की ज्योति फैलाओ।” गुरु की आज्ञा शिरोधार्य करके महर्षि स्वामी दयानन्द ने अपना शेष जीवन इसी कार्य में लगा दिया। हरिद्वार जाकर उन्होंने ‘पाखण्डखण्डिनी पताका’ फहराई और मूर्ति पूजा का विरोध किया।

उनका कहना था कि यदि गंगा नहाने, सिर मुंडाने और भभूत मलने से स्वर्ग मिलता, तो मछली, भेड़ और गधा स्वर्ग के पहले अधिकारी होते। बुजुर्गों का अपमान करके मृत्यु के बाद उनका श्राद्ध करना वे निरा ढोंग मानते थे। छुआछूत का उन्होंने जोरदार खंडन किया। महिलाओं की स्थिति सुधारने के प्रयत्न किए। मिथ्याडंबर और असमानता के समर्थकों को शास्त्रार्थ में पराजित किया। भारतीय नव जागरण के अग्रदूत माने जाने वाले स्वामी दयानंद सरस्वती असाधारण प्रतिभा के धनी और ऐसे तपस्वी थे जिन्होंने मिथ्याडंबर का खुलकर विरोध किया था। वे आर्य समाज के प्रवर्तक और सुधारवादी संन्यासी थे।
प्रभात फेरी का समापन मुख्य आर्य समाज मंदिर पर किया गया एवं प्रातः 9 बजे मुख्य आर्य समाज मंदिर में ऋषि बोधोत्सव के उपलक्ष्य में विशेष यज्ञ किया गया और साथ ही उपस्थित जनों को महर्षि दयानंद सरस्वती के जीवन चरित्र के बारे में बताया इस दौरान प्रभात फेरी में नरेंद्र आर्य,देवेंद्र आर्य,गिरीश आर्य,शुभम आर्य,अभिषेक बंसल,आशुतोष आर्य, मदन मोहन बजाज,वीरेंद्र आर्य,विश्वबंधु आर्य,सुमन आर्य,मीनाक्षी आर्य,रेणु आर्य,खुशी,पूर्वी, पुष्पा आर्य, छवि, वेदवती आर्य, आदि के अलावा अन्य कई कार्यकर्ता उपस्थित थे।

 


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