अपना घर में डेढ़ साल में रोटी बनाने की मशीन नहीं हुई चालू जिला

Support us By Sharing

उपभोक्ता आयोग द्वारा मशीन बनाने वाली कंपनी को हरजाना देने का दिया आदेश

भरतपुर। अपना घर में डेढ़ साल में रोटी बनाने की मशीन नही हुई चालू, जिला उपभोक्ता आयोग द्वारा मशीन बनाने वाली कंपनी को हर्जाना देना का दिया गया आदेश। प्राप्त जानकारी अनुसार भरतपुर के अपना घर में डेढ़ साल में रोटियां बनाने की मशीन चालू नहीं होने पर अपना घर को 1.10 लाख रुपए का हर्जाना मिलेगा। यह रकम संस्था को मशीन बेचने वाली पटियाला की फर्म को चुकानी होगी। साथ ही मशीन निर्माता को मशीन की कीमत के बतौर 9.55 लाख रुपए भी लौटाने होंगे। संस्था ने 5500 प्रभुजनों की रोटियां बनाने और आटा गूंथने के लिए फर्म से मशीन खरीदी थी। जिसे लगाने के बाद मेन्यु फैक्चरिंग डिफेक्ट के चलते मशीन चालू ही नहीं हो सकी। इसकी शिकायत पर जिला उपभोक्ता आयोग ने संस्था को राहत दिलाने वाला यह आदेश दिया है। प्राप्त जानकारी अनुसार बझेरा स्थित अपना घर को मां माधुरी बृज सेवा सदन संस्था चलाती है, जिसने पटियाला स्थित कनन इंटरप्राइजेस को दो चपाती बनाने और आटा गूंथने की मशीन का ऑर्डर दिया था। पांच हजार चपाती एक घंटे में बनाने वाली मशीन 12 लाख रुपए की थी। दूसरी 500 चपाती एक घंटे में बनाने वाली मशीन की कीमत 4.25 लाख रुपए की थी। इसके लिए फर्म को भुगतान करने पर नवंबर 2022 में मशीनें भरतपुर भेज दी गई। जिन्हें इंस्टाल करने आए मैकेनिक ने पांच हजार चपाती की क्षमता वाली मशीन में निर्माण दोष बताया। इसके बाद फर्म की ओर से इंजीनियरों को भेजा गया। जिन्होंने एक पार्ट खराब होना बताते हुए उसे सितंबर 2023 में पटियाला भेजा। जिसे ठीक कर नवंबर 23 में वापस भेजा गया, लेकिन मशीन चालू नहीं हुई। फर्म संचालक ने संस्था का फोन उठाना ही बंद कर दिया। रकम वापस मांगे जाने पर फरवरी 2024 में केवल 50 हजार रुपए खाते में जमा कराए गए। जिला उपभोक्ता आयोग में राष्ट्रीय सचिव चंद्रशेखर गुप्ता के माध्यम से शिकायत की गई। आयोग के नोटिस भेजने पर फर्म की ओर से कोई भी पेश नहीं हुआ। इस पर आयोग ने मई 24 में फर्म के खिलाफ एक पक्षीय कार्यवाही का निर्णय किया। अध्यक्ष यतीन्द्र प्रकाश शर्मा और सविता सिंघल ने मामले पर फैसला किया। उन्होंने आदेश दिया कि फर्म खराब मशीन के 9.55 लाख रुपए छह फीसदी ब्याज के साथ संस्था को अदा करे। साथ ही फर्म को 1.10 लाख रुपए बतौर हर्जाने के एक महीने में देने होंगे। वरना इसके बाद आदेश देने की तारीख से नौ फीसदी सालाना की दर से ब्याज चुकाना होगा।


Support us By Sharing
error: Content is protected !!