महावीर जयंती पर ओमाश्रय में अहिंसा की प्रतिष्ठा हेतु दी आहुतियां

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भगवान महावीर के अहिंसा सत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य अपरिग्रह सिद्धांतों को अपनाने पर ही होगी आत्म कल्याण एवं विश्व शांति -” यश”

जयपुर|मन वचन कर्म से अहिंसा मुक्ति की आधार शिला है जिससे वैर त्याग भावना बलवती होती है उसके साथ कभी हिंसा नहीं हो सकती। उक्त कथन भगवान महावीर जयंती पर ओमाश्रय सेवा धाम में वैदिक चिंतक एवं ओउमाश्रय संचालक यशपाल यश ने व्यक्त किया।यश ने कहा कि भगवान महावीर ने जिन अहिसा सत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य अपरिग्रह पांच सिद्धांतों को प्रतिपादित किया उन्हें अपनाया जाए और तो व्यक्ति की आत्मा का कल्याण एवं विश्व शांति सहज हो जायेगी। यश ने कहा कि मोक्ष प्राप्ति हेतु पातंजलि योग दर्शन के अष्ठांगों में प़थम अंग “यम” में भी प़थम स्थान अहिंसा का है फिर सत्य अस्तेय ब्रह्मचर्य अपरिग्रह आते हैं।
अहिंसा की प्रतिष्ठा हेतु यज्ञ में आहुतियां देने मनोचिकित्सक डॉ गजानंद वर्मा श्रीमति हेमलता,सातुल गर्ग एवं श्रीमति भावना , यशपाल एवं श्रीमति मधु यश, घनश्याम जैन एवं भगवान दास गर्ग मुख्य यजमान रहे। देवेश गोयल श्रीमति सीमा ‌श्रीमति सन्तोष नारायण शर्मा श्रीमति गीता पारीक हेमकांत पारीक आदि मौजूद रहे।


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