प्रयागराज 52 संसदीय सीट से उम्मीदवार की निष्क्रियता से हाथी पर छाई उदासी

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प्रयागराज। बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवारी से ही क्षेत्रीय जनों में अनुमान था कि बसपा प्रत्याशी इस चुनाव में एनडीए गठबंधन और इंडिया गठबंधन दोनों की परेशानी बढ़ा सकते हैं। क्षेत्रीय जनों का मानना है कि नामांकन के बाद भी बीएससी प्रत्याशी की निष्क्रियता साफ नजर आ रही है। जिससे लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी और इंडिया गठबंधन में कांटे की टक्कर देखी जा रही है। बसपा सुप्रीमो ने रमेश पटेल पर अपना विश्वास जताया मगर विश्वास पर खरे उतरते नहीं दिख रहे। बसपा प्रत्याशी इस चुनाव में अपने दलित वोटरों को भी नहीं सहेज पा रहे अधिकतर वोट भाजपा की ओर ट्रांसफर होता दिख रहा है। जबकि दलित वोटरों के दम पर बसपा सत्ता में शामिल होती रही या चुनाव परिणाम प्रभावित करती रही है। बसपा के अधिकतर नेता उसे चुनाव से पहले ही छोड़ गए ऐसे में इस बार बसपा कहीं भी चुनावी रण में मजबूती से खड़ी नहीं दिख रही। सपा की तरह ही बसपा भी उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक लोकप्रिय पार्टी है। दोनों पार्टियों ने उत्तर प्रदेश में शासन किया है आज बसपा अपनी प्रासंगिकता क्यों खो चुकी है जबकि समाजवादी पार्टी अब भी इतना शोर मचा रही है। बसपा पार्टी को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ सकती है अब यह उम्मीदवार रमेश पटेल बसपा के कैडर वोटो को कैसे मैनेज कर पाएंगे यह आने वाला वक्त बताएगा। इस बार के चुनाव में मतदाताओं का कोई रुझान कोई भी पार्टी चुनावी माहौल भांपने में नाकामयाब साबित हो रही है। वहीं चुनावी गणितज्ञों का कहना है कि यूपी में बसपा अभी भी एक ताकत है भले ही वह ज्यादा सीट न जीत पाए लेकिन कई सीटों पर एनडीए और इंडिया गठबंधन का खेल जरूर बिगाड़ सकती है।


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