संत ललित शरण ने हिंदू राष्ट्र बनाने का समर्थन किया

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वृंदावन में श्रीकृष्ण कॉरिडोर बनाने की मांग भी उठाई

भीलवाड़ा। मूलचन्द पेसवानी। भीलवाड़ा शहर के अग्रवाल उत्सव भवन में वृंदावन के प्रसिद्ध संत ललित शरण 25 दिसंबर से 31 दिसंबर तक भागवत कथा का वाचन करेंगे। इस आयोजन के संदर्भ में संत ललित शरण ने मंगलवार को यहां प्रेस वार्ता के दौरान हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बयान का समर्थन किया। साथ ही उन्होंने वृंदावन में श्रीकृष्ण कॉरिडोर बनाने की पुरजोर मांग की।
संत ललित शरण ने बताया कि भागवत कथा के माध्यम से विश्व में सुख, शांति और समृद्धि का संदेश दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कथा के दौरान 108 ब्रह्मचारी विद्यार्थियों (बटुकों) द्वारा मूल संस्कृत में भागवत का पाठ करवाया जाएगा।
संत ललित शरण ने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा दिए गए हिंदू राष्ट्र की मांग के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए। उन्होंने कहा, हिंदू राष्ट्र बनने से सनातन धर्म को मजबूती मिलेगी और समाज में आध्यात्मिकता का विकास होगा। संत ने इसे समय की आवश्यकता बताया और कहा कि सनातन धर्म के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए यह एक सकारात्मक कदम होगा।
संत ललित शरण ने वृंदावन में प्रस्तावित श्रीकृष्ण कॉरिडोर का समर्थन करते हुए कहा कि यह परियोजना श्रद्धालुओं के लिए दर्शन को सुगम बनाएगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में वृंदावन की कुंज गलियों के कारण बुजुर्ग और दिव्यांग भक्त बांके बिहारी जी के दर्शन नहीं कर पाते। कॉरिडोर बनने से इन कठिनाइयों का समाधान होगा और देश-विदेश से आने वाले भक्त आसानी से बांके बिहारी जी के दर्शन कर सकेंगे।
भागवत कथा का आयोजन 25 से 31 दिसंबर तक भीलवाड़ा के अग्रवाल उत्सव भवन में होगा। संत ने बताया कि यह आयोजन समाज में धार्मिक जागरूकता और सद्भावना का संदेश देने के उद्देश्य से किया जा रहा है। उन्होंने स्थानीय भक्तों से अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर भागवत कथा का लाभ उठाने का आग्रह किया।
संत ललित शरण ने भागवत कथा के आयोजन में गरीब यजमानों को जोड़ने और संस्कृत में मूल पाठ को बढ़ावा देने के विचार को प्रमुखता दी। यह प्रयास समाज में धार्मिक आयोजनों को सभी वर्गों तक पहुंचाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। संत ललित शरण के इस कार्यक्रम को भीलवाड़ा और आसपास के क्षेत्रों के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन के रूप में देखा जा रहा है। भागवत कथा के माध्यम से सनातन धर्म के मूल्यों और परंपराओं को सशक्त करने की दिशा में यह एक अहम प्रयास होगा।


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