सवाई माधोपुर |बरनाला ग्राम पंचायत बरनाला इन दिनों सफाई व्यवस्था की बदहाली से जूझ रहा है। गांव की गलियां, बाजार और सार्वजनिक स्थल कचरे से पटे पड़े हैं, लेकिन पंचायत कार्यालय में सब कुछ दुरुस्त दर्शाया जा रहा है। ग्रामीणों ने बार-बार शिकायतें कीं, किंतु शासन-प्रशासन ने जैसे बहरे कानों से सुना और बंद आंखों से देखा।
गांववासियों ने बताया कि उन्होंने 181 हेल्पलाइन और पीजी पोर्टल के माध्यम से भी इस विषय को बार-बार उठाया, किंतु आज दिन तक न तो कोई कार्यवाही हुई, न ही कोई उत्तरदायी अधिकारी स्थल पर पहुंचे। बरनाला का बस स्टैंड, जहां रोजाना सैकड़ों लोग आते-जाते हैं, वह भी महीनों से सफाई के नाम पर उपेक्षित पड़ा है।
कचरा पात्रों की दुर्दशा — धूल में दबा ‘स्वच्छ भारत’ का सपना
सरकार द्वारा गांव में लगाए गए कचरा पात्र या तो जमींदोज हो चुके हैं या दीवारों से इस तरह चिपक गए हैं कि उनमें कचरा डालना भी कठिन हो गया है। वे कचरे से लबालब भरे हैं, लेकिन आज तक एक बार भी उन्हें खाली नहीं किया गया है। कागजों में यह कार्य बार-बार दर्शाया गया, पर वास्तव में एक बार भी कचरा नहीं उठाया गया।
स्वच्छता गाड़ी बनी धूल फांकने वाली शोपीस
जिस गाड़ी को सरकार ने गांव से कचरा उठाने के लिए भेजा था, वह भी अब शोपीस बनकर रह गई है। महीनों से वह एक स्थान पर खड़ी है, और उस पर धूल की मोटी परत जम चुकी है। उसका कोई संचालन नहीं हो रहा, फिर भी पंचायती रिकॉर्ड में वह नियमित कार्य करती हुई दर्शाई जा रही है।
ग्रामीण खुद बना रहे मिसाल, नालियों से निकाल रहे कचरा
स्थानीय नागरिक—गोपाल, कैलाश, उदय नारायण और राजेंद्र ने बताया कि जब पंचायत ने अपनी ज़िम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया, तो उन्होंने स्वयं मोर्चा संभाला। गांव की नालियों और बाजार से कचरा निकालने का काम ग्रामीणों ने अपने हाथ में लिया है, किंतु उसे फेंकने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। इससे उनकी समस्याएं और अधिक जटिल हो रही हैं।
पूर्व में भी उठी थी आवाज, मिली सिर्फ अनदेखी
गांववासियों का कहना है कि पूर्व में उन्होंने मीडिया के माध्यम से इस गंभीर समस्या को उठाया था, किंतु पंचायतकर्मियों की मिलीभगत से कागजों में सफाई कार्य को पूर्ण रूप से संपन्न दिखा दिया गया। यह व्यवस्था केवल कागजों में चल रही है, जबकि गांव की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है।
अब ग्रामीणों की अंतिम पुकार — प्रशासन ध्यान दे
ग्रामीणों ने अब एक बार फिर एक स्वर में शासन-प्रशासन से आग्रह किया है कि वे कागजी खानापूर्ति से ऊपर उठकर ज़मीनी स्तर पर कार्य करें। गांव की सफाई व्यवस्था को सुधारना अब केवल आवश्यकता नहीं, बल्कि अनिवार्यता बन चुकी है।
क्या बरनाला को भी मिलेगी स्वच्छता की रोशनी, या फिर यह आक्रोश भी रह जाएगा अनसुना |

1996 से लगातार पत्रकारिता कर रहे हैं। 1996 से दैनिक भास्कर में बौंली, बामनवास एवं सन 2000 में दैनिक भास्कर ब्यूरो चीफ गंगापुर सिटी। 2003 से पंजाब केसरी और वर्तमान में राष्ट्रदूत। अनेकों चैनल व अखबारों में कार्यरत हैं। आवाज आपकी न्यूज पोर्टल में पत्रकार हैं।