प्रकृति मां को श्रृंगार विहीन होने से बचाएः-स्वामी हरिचैतन्य पुरी

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कामां। तीर्थराज विमल कुण्ड स्थित हरिकृपा आश्रम के संस्थापक स्वामी हरि चैतन्य पुरी महाराज ने पौधारोपण करके भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि पर्यावरण का संरक्षण हम सभी का पुनीत कर्तव्य है। ग्लोबल वार्मिंग व समय-समय पर विभिन्न स्थानों पर हो रही भयानक प्राकृतिक आपदाओं का कारण पर्यावरण का विकृत होता स्वरूप ही है। समय रहते यदि हम जागरूक ना हुए तो भविष्य में होने वाले विनाशकारी दुष्परिणामों को भोगने के लिए हमें मजबूर होना पड़ेगा। हम सभी भगवान शिव के अभिषेक,पूजन,वंदन व व्रत इत्यादि के साथ-साथ सघन पौधारोपण भी करें। भगवान शिव का ही एक स्वरूप है वृक्ष। जैसे भगवान शिव ने सारी दुनिया को अमृत बांटा व स्वयं हलाहल विष का पान किया। वृक्ष भी सभी को ऑक्सीजन का अमृत बांट रहे हैं व स्वयं कार्बन डाइऑक्साइड लेकर विष का पान कर रहे हैं। वृक्ष और शिव एक समान, दें अमृत करते विषपान ।
उन्होंने कहा कि प्रकृति मां को श्रृंगार विहीन होने से बचाएं। पृथ्वी मां के श्रृंगार हैं वृक्ष। प्रकृति हमारी जन्मदात्री मां से भी अधिक हमारी रक्षा करती है, परंतु प्रकृति के नियमानुसार यदि नहीं रह कर अपितु उससे खिलवाड़ करें तो यह रक्षक होने के बजाय हमारी भक्षक भी बन सकती है। आए दिन जहां तहां बाढ़,भूकंप,सूखा,प्राकृतिक अन्यान्य विपदाएं हमारी प्रकृति के साथ खिलवाड़ का ही परिणाम रहा है। प्राकृतिक सौंदर्य,वनसंपदा आदि हमारी प्रकृति मां के श्रृंगार है। पृथ्वी मांको श्रृंगार विहीन होने से बचाने के लिए स्वयं को प्राकृतिक आपदाओं से बचाकर सुखी भविष्य बनाने के लिए अपने क्षेत्र के सौंदर्य आकर्षण पहचान को बनाए रखने के लिए प्रकृति व यहां की अमूल्य ऐतिहासिक धरोहरों के साथ खिलवाड़ बंद करके उनके संरक्षण पर ध्यान देना बहुत ही आवश्यक है। समय रहते यदि हमने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो बाद में पश्चाताप के अलावा हमारे हाथ कुछ भी शेष नहीं रहेगा।


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